Prabhat Times
चंडीगढ़। कृषि बिल (Agriculture Bill) के विरोध में किसान संगठनों द्वारा किया जा रहा आंदोलन और तेज होने जा रहा है।
किसान संगठनो ने फैसला किया है कि रेलवे ट्रैक नहीं खोले जाएंगे। किसान यूनियन ने कहा कि 17 अक्टूबर को पंजाब में राज्यव्यापी प्रदर्शन होगा। हमारा रेल रोको और टोल प्लाजा का घेराव करने के प्रदर्शन में तेजी आएगी।
ये फैसला किसान संगठनो द्वारा चंडीगढ़ में हुई बैठक के बाद लिया गया है। दिल्ली में केंद्रीय सचिव से वार्ता विफल होने के बाद पंजाब में किसान रेलवे ट्रैक खोलने को राजी नहीं हैं।
किसान संगठनो ने घोषणा की है कि वे राज्य भाजपा नेताओं के आवास के बाहर धरना देंगे और इसके अलावा ट्रेनों को रद्द करने और टोल प्लाजा के पास सड़को को ब्लॉक करने का काम जारी रहेगा।
साथ ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का पुतला भी फूंका जाएगा।” प्रवक्ता ने कहा कि इसके अलावा दो बड़े कॉरपोरेट घरानों के पेट्रोल पंपों को भी संचालन की इजाजत नहीं होगी।
चंडीगढ़ में गुरुवार को हुई 30 किसान संगठनों की बैठक में चल रहे आंदोलन को लेकर कई महत्वपूर्ण फैसले लिए गए।
बैठक में संगठनों ने तय किया कि पंजाब सरकार के विधानसभा सत्र के आयोजन तक रेलवे ट्रैक नहीं खोले जाएंगे।
साथ ही आंदोलन को देशव्यापी बनाने का निर्णय किया गया, जिसके पहले चरण में 100 से ज्यादा किसान संगठनों को शामिल किए जाने की बात किसान नेताओं ने कही।
किसान नेता बलबीर सिंह राजेवाल ने कहा कि किसान संगठन अब केंद्र के साथ किसी भी वार्ता के लिए दिल्ली नहीं जाएंगे और अब आंदोलन को अगले स्तर पर ले जाया जाएगा।
उन्होंने कहा कि 16 अक्तूबर को केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर लुधियाना और मोगा में एक रैली करने जा रहे हैं, जिसका किसान यूनियनें विरोध करेंगी।
पंजाब में कृषि कानूनों को लेकर वार्ता करने वाले भाजपा के केंद्रीय नेताओं का किसान घेराव करेंगे।
आंदोलन को देशव्यापी बनाने के लिए इसी माह दिल्ली या चंडीगढ़ में एक राष्ट्रीय स्तर की बैठक आयोजित की जाएगी।
जिसमें 100 से अधिक किसान संगठन शामिल होंगे। पंजाब भाजपा अध्यक्ष अश्वनी शर्मा पर हमले को लेकर उन्होंने कहा कि पार्टी जो भी आरोप लगा रही है, वह निराधार हैं। किसान शांतिपूर्ण विरोध कर रहे हैं।

कैबिनेट मंत्रियों से हुई चर्चा

किसान भवन में आयोजित किसान संगठनों से वार्ता करने पंजाब के कैबिनेट मंत्री तृप्त राजिंदर सिंह बाजवा, सुख सरकारिया, सुखजिंदर रंधावा और मुख्यमंत्री के राजनीतिक सलाहकार कैप्टन संदीप संधू पहुंचे।
उन्होंने बताया कि 19 को होने वाले विशेष विधानसभा सत्र में किसानों के हित को ध्यान में रखते हुए नया अध्यादेश लाया जा रहा है। लेकिन मामले का कोई हल नहीं निकला।

राज्यपाल का भी कर सकते हैं घेराव

किसान नेताओं ने कहा कि यदि पंजाब सरकार किसानों के हित को ध्यान में रखते हुए अध्यादेश लाती है तो किसान उसका समर्थन करेंगे।
यदि राज्यपाल सरकार के अध्यादेश को लेकर हस्ताक्षर नहीं करेंगे तो किसान यूनियनें राज्यपाल का भी घेराव करने से पीछे नहीं हटेंगे।

शिअद ने नहीं की हमसे कोई बात

किसान नेताओं ने कहा कि राजनीतिक दल किसानों की ताकत को जान गए हैं। इसका सबसे बड़ा उदाहरण हरसिमरत कौर बादल का केंद्रीय कैबिनेट से इस्तीफा है।
नेताओं ने कहा कि अकाली दल ने अभी तक हमारे साथ बात नहीं की है, जबकि वे किसानों के पक्ष में समर्थन का अनुमान लगा रहे हैं।
उन्होंने कहा कि किसी भी राजनीतिक दल को किसान आंदोलन करने की अनुमति नहीं दी जाएगी।

भाकियू (लखोवाल) को शामिल किया

कृषि कानूनों का विरोध करने वाले किसान संगठनों ने भाकियू लखोवाल को फिर से शामिल करने का फैसला किया है।
हालांकि हरिंदर सिंह लखोवाल बैठकों में शामिल नहीं हो पाएंगे। अब संगठनों की संख्या 30 हो गई है। उगराहां किसान संगठन 30 किसान यूनियनों के आंदोलन को बाहर से समर्थन दे रहा है।

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