Prabhat Times
नई दिल्ली। कृषि कानूनों (Agriculture bill) के मुद्दे पर सरकार और किसानों के बीच चल रही बैठक में बात बनती नज़र नहीं आ रही है। सरकार इस बात पर अड़िग है कि चार मांगो में से 2 पर वे संशोधन को तैयार हैं, लेकिन कृषि कानून वापस नहीं हो सकते। जबकि उधर सरकार की ये बात सुनकर किसान मौन धारण कर चुके हैं।

नहीं रद्द कर सकते कृषि कानून: सरकार

किसान नेताओं और सरकार के मंत्रियों के बीच हो रही सातवें दौर की बातचीत के दौरान सरकार ने दो टूक कहा है कि वह तीनों कृषि कानूनों को रद्द नहीं कर सकती है।
कृषि कानूनों के महत्वपूर्ण मुद्दे पर सोमवार को केंद्र सरकार औऱ किसान नेताओं के बीच 7वें दौर की वार्ता शुरू हुई. वार्ता शुरू होने से पहले आंदोलन में मारे गए लोगों के लिए दो मिनट का मौन रखा गया।
किसान अभी भी तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने और न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की गारंटी की मांग पर डटे हुए हैं. लंच ब्रेक के बाद किसान संगठनों के साथ सरकार के मंत्रियों की वार्ता दोबारा शुरू हो गई है.
आज दोनों पक्षों के बीच आठवें दौर की वार्ता हो रही है. इससे पहले सरकार ने किसानों की मांगों पर विचार करते हुए तीनों कानूनों में संशोधन के लिए संयुक्त कमेटी गठित करने पर तैयार हो गई थी.
लेकिन किसानों ने सरकार के इस प्रस्ताव को खारिज कर दिया. अब दोनों पक्षों के बीच दोबारा वार्ता शुरू हो गई है. उधर, किसान पहले ही संघर्ष तेज करने का ऐलान कर चुके हैं। अब देखना ये है कि मौन धारण कर बैठे किसान इस मामले में क्या फैसला लेते हैं।

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