Prabhat Times
जालंधर। (BJP Punjab) पंजाब के मलौट शहर मे एक बार फिर भाजपा के विधायक पर हमला हुआ। भाजपा के विधायक अरूण नारंग के कपड़े फाड़ डाले गए। शर्मसार करने वाले नग्न वीडियो वायरल हुए। पंजाब में किसानों और भाजपा नेताओं के बीच टस्सल का मुख्य कारण क्या सिर्फ कृषि बिलों को लेकर चल रहा विवाद ही है। इस बात को लेकर भी अब राजनीतिक माहिरों में चर्चा जोर पकड़ चुकी है। ये चर्चा इसलिए छिड़ी है क्योंकि देश के अन्य राज्यों में ऐसा शर्मसार करने वाले विरोध नहीं हो रहा तो सिर्फ पंजाब में ही क्यों?
भारतीय जनता पार्टी के केंद्रीय दफ्तर में मौजूद पंजाब के सैंकड़ो पदाधिकारियों और हज़ारों वर्करों की लिस्टें क्या सिर्फ रिकार्ड में ही हैं? अगर केंद्रीय दफ्तर में पदाधिकारियों और वर्करों की लिस्टें वाकई में सही हैं तो पंजाब में ग्राउंड पर ये सब अभी क्यो नज़र नहीं आ रहा? पार्टी की नीतियां कार्यक्रम आखिर जनता को समझ क्यों नहीं आ रहे? ऐसे कई सवालों को लेकर अब राजनीतिक माहिर चर्चा कर रहे हैं। पिछले करीब 23 सालों में 15 साल तक प्रदेश में सत्ता पक्ष का हिस्सा बन कर रहने वाली भाजपा का आखिर आधार आखिर क्यों नहीं बढ़ा।
बता दें कि राज्य में पहले 1997 से लेकर 2002 और फिर 2007 से लेकर 2017 तक पंजाब प्रदेश में शिअद-भाजपा गठबंधन की सरकार रही। अहम तथ्य ये है कि शिअद का अपना वोटबैंक पक्का रहा, लेकिन हर बार चुनावों में भाजपा की ही सीटें कम और ज्यादा हुई।
पिछले 23 सालों में  करीब 15 साल तक सत्ता में हिस्सेदार होने के पश्चात भाजपा अपना आधार और मजबूत करने में मौजूदा हालात के मुताबिक विफल नज़र आ रही है। पार्टी के अति सुविज्ञ सूत्र पार्टी के हालात के लिए कहीं न कहीं पार्टी के फ्रंट लाईन नेताओं को जिम्मेदार ठहराते हैं।
बताया गया है कि पिछले सालों में कार्यकर्ता पार्टी नहीं बल्कि फ्रंट लाईन नेताओं की नीतियों के मुताबिक ही काम करता नज़र आ रहा है। सूत्र बताते हैं कि हमेशा कांग्रेस पर परिवारवाद का आरोप लगाने वाली भारतीय जनता पार्टी पंजाब में भी पिछले कई सालों से ऐसे ही हालात बने हुए है। सूत्र बताते हैं कि पंजाब के कई शहरों में संघ और भाजपा से जुड़े एक ही परिवार के सदस्यों  को महत्त्वपूर्ण जिम्मेदारियां सौंपी गई है। कई मामलों में तो ‘जितने परिवारिक सदस्य, उतने पदाधिकारी हैं।’
ऐसा नहीं कि पार्टी के पास निष्ठावान, समर्पित वर्कर नहीं है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का समर्थन और उनकी कार्यशैली के लेकर में सैंकड़ो युवाओँ ने पार्टी ज्वाईन भी की, लेकिन कई सालों से लगातार काम करने के बावजूद जब पद यानिकि जिम्मेदारियां देने का समय आता है तो पार्टी में चल रहे कथित सिंडीकेट द्वारा अपने नज़दीकीयों व समर्थकों को पद बांट कर काम पूरा कर लिया जाता है। ऐसी स्थिति के कारण मौजूदा हालात में सैंकड़ों कार्यकर्ता फ्रंट लाईन पर आने की बजाए बैकफुट पर ही रह जाते हैं। यही कारण माना जा रहा है कि देश में भाजपा व संघ का ग्राफ तो बढ़ा, लेकिन सिर्फ पंजाब में ही ये ग्राफ नहीं बढ़ सका है।

सिर्फ पंजाब में ही ये हाल क्यों?

राजनीतिक माहिरों की मानें तो पार्टी और पार्टी नेताओँ के साथ हो रही ये अमानवीय घटनाएं सिर्फ पंजाब में ही हो रही हैं, देश के किसी और राज्यों में भाजपा का विरोध की खबरें तो सुनी हैं, लेकिन होशियारपुर और मलौट जैसी घटनाएं सिर्फ पंजाब में ही क्यों हो रही हैं। राजनीतिक माहिर विशेष तौर पर इस मुद्दे पर मंथन में जुटे हुए हैं। ये भी चर्चा सुनने में आई है कि पार्टी नेतृत्व भी इस बात पर मंथन करवा रहा है कि आखिर पंजाब में ही क्यो पार्टी नेताओं का ये हाल क्यों हो रहा है।

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