Prabhat Times
चंडीगढ़। पंजाब पुलिस (Punjab Police) के अधिकारियों, कर्मचारियों के ऐश के दिन लद्द गए हैं। पंजाब में अपराधिक केसों की सजा दर का ग्राफ कम होने से खफा पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेंद्र सिंह द्वारा पंजाब पुलिस के हर अधिकारी, कर्मचारी के लिए टारगेट फिक्स कर दिए हैं।
पंजाब पुलिस में अधिकारी सिर्फ सुपरविज़न ही नहीं करेंगें, बल्कि वे भी संगीन अपराधों की जांच करेंगे और अपनी तरफ से अदालत में चालान पेश कर आरोपियों को सजा दिलवाने तक पैरवी करेंगें।
पंजाब सरकार द्वारा पुलिस कमिश्नर, एस.एस.पी. से लेकर हवलदार तक के रैंक के अधिकारियों, कर्मचारियों को लक्ष्य निर्धारित कर दिए गए हैं। लक्ष्य है कि साल में हर एक अधिकारी कम से कम 6 केसो के चालान अदालत में दाखिल करेंगे।
ये फैसला पंजाब सरकार द्वारा अपराधिक मामलों में आरोपियों को सजा दिलवाने के लिए किया गया है। इस फैसले से अपराधियों के सजा प्रतिशत में भी बढौतरी होगी। ये भी कहा गया है कि अधिकारी केसों की निजी तौर पर पैरवी करेंगे और लॉ अधिकारियों के लगातार संपर्क में रहेंगे।
मुख्यमंत्री के निर्देशों पर डी.जी.पी. दिनकर गुप्ता द्वारा दी गई हिदायतों के मुताबिक पुलिस कमिश्नरेट में ए.डी.सी.पी. अते जिलों मे एस.पी. एक साल में कम से कम 6 संगीन अपराधिक केसो की निजी तौर पर जांच करेंंगे और अपने नाम से अदालत में चालान पेश करेंगे। इसी प्रकार ए.सी.पी./डी.एस.पी. भी एक साल में कम से कम 8 केसों की जांच कर अपने नाम से चालान पेश करेंगे।
मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेंद्र सिंह ने कहा कि पिछले समय में राज्य के अधिकारियों के बारे में रिपोर्ट हासिल करने के पश्चात ही ये सख्त फैसला लिया गया है। पुलिस विभाग के हर एक अधिकारी की जवाबदेही होगी।
निर्देश दिए गए हैं कि सभी एस.पी. और डी.एस.पी. रैंक के अधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं कि सभी गंभी तथा संवेदनशील अपराधों से जुड़े मामलो की जांच में खुद को शामिल करें तथा अपराधिक फाईलों पर अपनी तरफ से नोट लिखें।
रूटीन में रनिंग क्राईम नोटबुक तैयार की जाए। मुख्यमंत्री द्वारा सभी पुलिस कमिश्नर तथा एस.एस.पीज़ को निर्देश दिए गए हैं कि जिलों में तैनात अधिकारियों को केसो की जांच के लक्ष्य निर्धारित किए जाएं।
संगीन अपराधिक केसों की स्थिति विशेष तौर पर चिंताजनक है। इनमें कत्ल, हत्या के प्रयास, लूट, डकैती, बलात्कार, किडनैपिंग, फिरौती, पोस्को एक्ट, एन.डी.पी.एस. एक्ट, आई.टी. एक्ट, बच्चों व महिलाओं से संबंधित क्राईम केसों में अधिकारियों द्वारा गंभीरता से काम नहीं किया जा रहा।
एस.एच.ओ., सब इंस्पैक्टर तक गंभीर अपराधों की निजी तौर पर जांच तक नहीं करते। देखने में ये भी आया है कि ये अधिकारी केसों की जांच निचले कर्मचारियों को सौंप देते हैं। जो कि नियमों का उल्लंघन है।
मुख्यमंत्री द्वारा सख्त आदेश दिए हैं कि अधिकारी किसी भी अपराधिक या सनसनीखेज वारदात होने पर घटनास्थल पर मौजूद रहेंगे और केस ट्रेस होने तक वहां काम करेंगे।
डी.जी.पी. द्वारा जारी निर्देशों में बताया गया है पंजाब पुलिस के एन.जी.ओ. तथा हेड कांस्टेबल द्वारा सीधे भर्ती सब इंस्पैक्टर एक साल में संगीन अपराध के कम से कम 8 केस, आई.पी.सी. की विभिन्न धाराओं के अधीन कम से कम 10 केस तथा लोकल स्तर पर विशेष कानून तहत दर्ज 10 केसों की जांच करेंगे।
जबकि थानों में पदौन्नति प्राप्त करने वाले सब इंस्पैक्टर, ए.एस.आई. रैंक के कर्मचारी एक साल में कम से कम 6 केस, आई.पी.सी. की धाराओं के 10 केस तथा विशेष कानून के अधीन दर्ज 15 केसों की पड़ताल, जबकि रैगूलर हेड कांस्टेबल साल में 5 संगीन केस, तथा 10 लोकल केसों की जांच करेंगे।
डी.जी.पी. ने आई.जी., डी.आई.जी., पुलिस कमिश्नर, एस.एस.पी. को निर्देश दिए है कि इन आदेशो का सख्ती से पालन किया जाए। साथ ही कहा गया है कि सभी अधिकारियों, कर्मचारियों द्वारा किे जा रहे केसों की जांच की रिपोर्ट 5 जनवरी 2021 तक भेजी जाए।

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