Prabhat Times

इंदौर। अयोध्या में राम मंदिर के शिलान्यास के मौके पर खींची गयी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की एक फोटो से कथित रूप से छेड़छाड़ कर तैयार की गई आपत्तिजनक तस्वीर को मध्य प्रदेश के पूर्व उच्च शिक्षा मंत्री और मौजूदा कांग्रेस विधायक जीतू पटवारी के ट्विटर अकाउंट से पोस्ट किये जाने के मामले में पुलिस ने पटवारी के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया है। छत्रीपुरा थाने के प्रभारी पवन सिंघल ने रविवार को बताया कि शहर भाजपा अध्यक्ष गौरव रणदिवे की शिकायत पर पटवारी के खिलाफ भारतीय दंड विधान की धारा 188 और धारा 464 के तहत प्राथमिकी दर्ज की गयी है।

उन्होंने बताया कि पहली नजर में लगता है कि पटवारी के ट्विटर अकाउंट पर शनिवार को पोस्ट की गयी विवादास्पद फोटो प्रधानमंत्री की उस मूल तस्वीर से छेड़छाड़ कर तैयार की गयी है। जिसमें वह अयोध्या में पांच अगस्त को राम मंदिर के शिलान्यास के मौके पर धार्मिक अनुष्ठान में शामिल होते दिखायी दे रहे हैं।

थाना प्रभारी ने बताया कि पटवारी के खिलाफ दर्ज प्राथमिकी में भारतीय दंड विधान की धारा 188 को इसलिये शामिल किया गया है, क्योंकि जिला प्रशासन ने जन भावनाओं को भड़काने वाली सोशल मीडिया पोस्ट पर पहले ही कानूनी प्रतिबंध लगा रखा है।

विवादास्पद फोटो में मास्क पहने हुए प्रधानमंत्री के हाथ में कटोरा नजर आ रहा है। इस फोटो को कथित रूप से पटवारी के ट्विटर खाते से पोस्ट करते हुए अशुद्ध हिन्दी में लिखा गया था कि देश की अर्थव्यवस्था, व्यापार-वेवसाय और आय, किसानों की गिरती आर्थिक स्थिति, नोकरी और बेरोजगारी, आर्थिक गिरावट, मजदूर और उसकी जीवन का संघर्ष, यह विषय टेलिवेजन डिबेड के नहीं है। क्योंकि कटोरा लेकर चल देंगे जी।

इसके बाद इंदौर लोकसभा क्षेत्र के सांसद शंकर लालवानी सहित कुछ स्थानीय विधायकों और अन्य भाजपा नेताओं ने पटवारी के ट्वीट पर कड़ी नाराजगी जताते हुए शनिवार देर रात डीआईजी हरिनारायणाचारी मिश्रा को शिकायती ज्ञापन सौंपा था।

विवाद के बाद प्रधानमंत्री का आपत्तिजनक फोटो पटवारी के ट्विटर खाते से हटा लिया गया था। हालांकि भाजपा नेताओं ने आरोप लगाया कि इंदौर के राऊ क्षेत्र के कांग्रेस विधायक के इस ट्वीट से न केवल प्रधानमंत्री पद की गरिमा को ठेस लगी है, बल्कि करोड़ों हिंदुओं की धार्मिक भावनाओं को भी आघात पहुंचा है।

वहीं विवादास्पद ट्वीट को लेकर भाजपा नेताओं ने सोशल मीडिया पर पटवारी की यह कहकर भी खिल्ली उड़ायी कि जिस व्यक्ति को सही हिन्दी लिखनी भी नहीं आती, उसे कमलनाथ की अगुवाई वाली पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार में उच्च शिक्षा मंत्री बना दिया गया था।