नई दिल्ली (ब्यूरो): कोरोना महामारी और दुनिया भर में आर्थिक संकट के बीच अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने बड़ा फैसला लेते हुए इस  साल के अंत तक के लिए H1-B वीजा को सस्पेंड कर दिया है। यह खासकर भारत समेत दुनिया भर के आईटी प्रोफेशनल के लिए बड़ा झटका है।

ट्रंप प्रशासन इससे पहले अप्रैल में नए ग्रीन कार्ड जारी करने पर भी पाबंदी लगा चुका है। ये पहले 60 दिनों तक लागू था लेकिन इसे भी बढ़ाकर साल के अंत तक के लिए लागू कर दिया गया है।

भारत के लिए बड़ा झटका

कोरोना वायरस महामारी में लाखों अमेरिकी लोगों को नौकरी गई है। ऐसे में ट्रंप प्रशासन का माना है कि नए प्रतिबंधों से अमेरिका के लोगों को राहत मिलेगी।

एच1बी वीजा के निलंबन से प्रभावित होने वाले देशों में भारत प्रमुख है, क्योंकि भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी पेशेवर इस वीजा की सबसे ज्यादा मांग करने वालों में से हैं। अमेरिकी वित्त वर्ष एक अक्टूबर से शुरू होता है और तब कई नए वीजा जारी किए जाते हैं।

एक अधिकारी के अनुसार हर साल H1-B वीजा जारी करने की सीमा 85,000 है। इसके बावजूद पिछले साल 2,25,000 आवेदन आए थे। ट्रंप प्रशासन का मानना है कि नए वीजा प्रतिबंधों से करीब 5 लाख 25 हजार अमेरिकी नौकरी हासिल कर सकेंगे।

एक अधिकारी के अनुसार हालांकि, नए प्रतिबंध मेडिकल वर्कर्स पर लागू नहीं होंगे। ये खासकर उन पर लागू नहीं होंगे जो कोविड-19 मामलों और इससे जुड़े रिसर्च आदि में जुटे हैं।

क्या है एच-1बी वीजा

एच-1 बी वीजा कुछ कुशल श्रमिकों के लिए डिजाइन किए गए हैं जैसे कि विज्ञान, इंजीनियरिंग और सूचना प्रौद्योगिकी क्षेत्रों में कार्यरत है। एच-2बी वीजा श्रमिकों जैसे होटल और निर्माण कर्मचारी को दिए जाते हैं।

एल -1 वीजा अधिकारियों के लिए हैं बड़े निगमों और जे -1 वीजा के लिए शोध विद्वानों, प्रोफेसरों और अन्य सांस्कृतिक और कार्य-विनिमय कार्यक्रमों को जारी किया जाता है।

अमेरिका में हर साल 85,000 लोगों को एच-1बी वीजा मिलता है। उसमें भी कुल एच -1बी वीजा का 70 फीसदी सिर्फ भारतीयों को जाता है। बड़ी संख्‍या में भारतीय इस वीजा के लिए अप्‍लाई करते हैं।