नई दिल्ली (ब्यूरो): कोरोना वायरस ने पूरी दुनिया में कहर मचा रखा है। दुनिया भर में इस वायरस से संक्रमित लोगों की संख्या बढ़कर 1.15 करोड़ के पार पहुंच गई है।

वहीं 5.36 लाख से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। सभी देश इस वायरस की वैस्सीन खोजने में लगे हुए हैं लेकिन अभी तक किसी के हाथ सफलता नहीं लगी है।

इनसब के बीच कोरोनावारस को लेकर एक नया खुलासा हुआ है। दरअसल, एक स्टड़ी में पता चला है कि 60,000 साल पहले निएंडरथल मानवों में के जीनोम में कोरोनावायरस पाया गया है।

स्वीडिश जेनेटिकिस्ट स्वेन्ते पाबो और ह्यूगो ज़ेबर्ग (Swedish geneticists Svante Paabo and Hugo Zeberg) द्वारा किए इस स्टड़ी में जर्मनी का मैक्स प्लैंक इंस्टीट्यूट, जापान का ओकिनावा इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी और स्वीडन का करोलिंस्का इंस्टीट्यूट के भी वैज्ञानिक शामिल थे।

अध्ययन में कहा गया है कि संक्रमण की तीव्रता यूरोप (लगभग आठ प्रतिशत) की तुलना में दक्षिण एशिया (लगभग 30 प्रतिशत) के लोगों में अधिक है, क्योंकि इस वायरस का जीन दक्षिण एशिया में पाया गया अधिक लोगों में पाया गया है।

अध्ययन में पाया गया है कि कोरोना संक्रमण के लिए जो जीनोम जिम्मेदार है, वे बांग्लादेश में रहने वालों में आम है।

अध्ययन में पता चला है कि क्रोमोजोम 3 पर इस जीनोम के छह जीनों के संबंध में एक हैरान करने वाला मानव इतिहास रहा है।

आगे, अध्ययन में यह भी पता चला है कि बांग्लादेश में 63 प्रतिशत लोग कम से कम एक प्रति ले जाते हैं।

अध्ययन के मुताबिक इस विशेष जीनोम की उपस्थिति पूर्वी एशियाई लोगों के केवल चार प्रतिशत में है, और अफ्रीका में पूरी तरह से अनुपस्थित है।

मैक्स प्लैंक इंस्टीट्यूट के शोधकर्ताओं द्वारा अध्ययन के आधार पर यह निष्कर्ष निकाला गया है। निएंडरथल मानवों में हजारों सालों पहले से ही कोरोनावायरस मौजदू था। बता दें निएंडरथल मनुष्य के प्रथम पूर्वज यूरोप में कोई साढ़े तीन लाख वर्ष पूर्व रहा करते थे।

मनुष्य जाति की एक अलग प्रजाति के रूप में उनका रूपरंग कोई एक लाख 30 हजार साल पहले उभरने लगा था। नेआन्डरथाल मनुष्य आज के हम होमो सापियन मनुष्यों के सीधे पूर्ज नहीं थे। उनकी एक अलग प्रजाति थी।

ये भी पढ़ें