नई दिल्ली (ब्यूरो): चीन के वुहान शहर से निकले कोरोना वायरस के चपेट में अब पूरी दुनिया आ चुकी है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप दुनियाभर में फैले इस जानलेवा वायरस के लिए चीन को जिम्मेदार ठहरा चुके हैं। कोरोना संक्रमण के कारण चीन को हो रही किरकरी के बीच भारत चीन को आर्थिक तौर पर करारा झटका देने की योजना पर काम कर रहा है। पता चला है कि अमेरिका और चीन के रिश्तों में आई कड़वाहट के बीच अब भारत सरकार चीन में बिजनेस कर रही 1000 से ज्यादा कंपनियों को लुभाने में लग गई है।पता चला है कि सरकार ने अप्रैल में अमेरिका में विदेशी मिशन के जरिए 1,000 से अधिक कंपनियों से संपर्क किया और भारत में मैन्युफैक्चरिंग यूनिट लगाने के लिए कई तरह के प्रोत्साहन ऑफर किए हैं।

ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट के मुताबिक उन्होंने कहा, ‘भारत की प्राथमिकता के केंद्र में मेडिकल इक्विपमेंट बनाने, फूड प्रॉसेसिंग, टेक्सटाइल्स, लेदर तथा ऑटो पार्ट्स बनाने वाली कंपनियां हैं। लगभग 550 उत्पाद बनाने वाली कंपनियों को भारत में शिफ्ट करने को लेकर बातचीत चल रही है।’

जापान ने अपनी फैक्ट्रियां हटाने के लिए घोषित किया पैकेज

अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप द्वारा कोरोना वायरस के लिए चीन को जिम्मेदारी ठहराए जाने के बाद दोनों देशों के बीच संबंधों में भारी कड़वाहट आने की आशंका है। इस वजह से अपने सप्लाई चेन को डायवर्सिफाई करने के लिए कंपनियां और सरकारें चीन से अपनी कंपनियों को दूसरे देशों में शिफ्ट कर सकती हैं।

जापान ने घोषणा कि है कि वो चीन से अपनी फैक्ट्रियों को हटाने के लिए 2.2 अरब डॉलर की मदद देगा। यूरोपीय संघ के देशों ने भी चीन के सप्लायर्स पर अपनी निर्भरता कम करने की योजना बनाई है।

सरकार का फोकस हेल्थ केयर कंपनियों पर

एक अधिकारी ने बताया कि भारत को उम्मीद है कि वह चीन से हेल्थकेयर प्रोडक्ट्स और डिवाइसेज बनाने वाली अमेरिकी कंपनियों को भारत लाने में सफल होगा। इस सिलसिले में मेडट्रॉनिक पीएलसी और अबॉट लेबोरेट्रीज को चीन से भारत लाने के लिए बातचीत जारी है। खास बात ये है कि मेडट्रॉनिक और अबॉट लेबोरेट्रीज पहले से ही भारत में मौजूद हैं और उन्हें चीन से अपना प्लांट भारत शिफ्ट करने में ज्यादा दिक्कतों का सामना नहीं करना पड़ेगा।

टैक्स और लेबर लॉ

लॉकडाउन के दौरान होने वाले आर्थिक नुकसान को देखते हुए सरकार अर्थव्यवस्था में जान फूंकने के लिए कई कदम उठा सकती है। भारत में ट्रेड मिनिस्ट्री ने अमेरिकी कंपनियों से टैक्स और लेबर लॉ में अपेक्षित बदलावों को लेकर सुझाव मांगे हैं। फेडरेशन ऑफ इंडियन एक्सपोर्टर्स के डायरेक्टर जनरल और सीईओ अजय सहाय की मानें तो भारत वियतनाम और कंबोडिया से बड़ा मार्केट है, इन्वेस्टर्स को चीन से भारत लाने में ज्यादा परेशानी नहीं होगी। लेकिन भूमि अधिग्रहण और बाकी अन्य चीजों से ज्यादा महत्वपूर्ण ये है कि सरकार इस बात की गारंटी दे कि अर्थव्यवस्था को पीछे धकेलने वाले टैक्स बदलाव नहीं किए जाएंगे।

पिछले साल ही उठाए थे बड़े कदम

मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने पिछले साल नई फैक्ट्रियां लगाने वालों के लिए कॉर्पोरेट टैक्स को घटाकर 17 फीसदी कर दिया था, ये दक्षिण-पूर्व एशिया में सबसे कम दर है। इसके अलावा एक बड़े फैसले के तहत कॉर्पोरेट टैक्स को घटाकर 25.17 फीसदी कर दिया था।