चंडीगढ़ (ब्यूरो): कोरोना के खिलाफ जंग के बीच बड़ा खेल सामने आया है। पंजाब में पॉजिटिव मरीजों का इलाज करने वाले डॉक्टरों की सुरक्षा के लिए खरीदी गई पीपीई किट्स पर भ्रष्‍टाचार की धूल की परत चढ़ा दी गई। घटिया पीपीई किट्स की सप्लाई के कई मामले राज्य में सामने आ चुके हैं, लेकिन पंजाब में भ्रष्‍टाचार का यह गेम खुलकर और बड़े पैमाने पर हुआ। यह किट्स किस कंपनी ने बनाईं और किस कंपनी से इन्हें खरीदा गया इसकी जानकारी जांच शुरू होने के एक महीने बाद भी सामने नहीं आ सकी। घटिया पीपीई किट्स सप्लाई को लेकर पंजाब में अमृतसर, लुधियाना और पटियाला में सेहत कर्मियों द्वारा विरोध किया गया। अमृतसर में तो इस मामले में डॉक्टर ही नहीं बल्कि पैरा मेडिकल स्टाफ ने भी अस्पताल प्रबंधन के खिलाफ मोर्चा खोल दिया। भ्रष्टाचार के आरोप लगाए गए और मामले की उच्च स्तरीय जांच की मांग हुई।

दरअसल, अमृतसर में सांसद निधि से 20 अप्रैल को 41.43 लाख रुपये खर्च कर 2000 पीपीई किट्स की खरीद पर उस समय सवाल उठे जब डॉक्टरों ने किट्स पहनी और वह फटने लगीं। सेहत कर्मियों ने आरोप लगाए कि जब बेहतर क्वालिटी पीपीई किट मार्केट में 800 से 1200 रुपये में उपलब्ध हैं तो घटिया किट्स के लिए प्रति किट करीब 2070 रुपये क्यों खर्च किए गए?विरोध बढ़ता देख मेडिकल शिक्षा एवं खोज विभाग मंत्री ओमप्रकाश सोनी ने मामले का खुद संज्ञान लिया और जांच के आदेश दिए। मांमले की जांच चल रही है। सवाल ये है कि मार्केट रेट से ज्यादा कीमत पर घटिया पीपीई किट्स सप्लाई करने वाली इस कंपनी ने जो ‘खेल’ किया उसके पीछे असली कहानी क्या है।

लुधियाना में भी हो रही है जांच

लुधियाना से भी कोरोना के खिलाफ अग्रिम पंक्ति में लड़ रहे डाक्टरों के लिए मई की शुरुआत में घटिया क्वालिटी की पीपीई किट्स की सप्लाई को लेकर मामला सरकार के समक्ष पहुंचा। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने भी सरकार से आग्रह किया है कि सरकार अपनी देखरेख में किट की क्वालिटी परखे और फिर कोरोना योद्धाओं को सप्लाई की जाए।