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नई दिल्ली। (Covid-19 Over 20 Drugs in the Pipeline to Fight Coronavirus) कोरोना से जूझ रहे नागरिकों के लिए अच्छी खबर है। एक्सपर्ट की मानें तो कोरोना के खात्मे में बस कुछ देर और है। कोरोना के खात्मे के लिए चल रही तैयारियां अब अंतिम दौर में हैं। कोरोना वायरस की पहचान करीब दो साल पहले चीन में हुई थी. लेकिन तब से लेकर अब तक इस बेहद खतरनाक वायरस को मात देने के लिए कोई खास कारगार दवा सामने नहीं आई है. दूसरी बीमारियों में इस्तेमाल होने वाली दवाईयां ही कोरोना से संक्रमित मरीजों को दी जाती है. लेकिन अब कोरोना से लड़ने के लिए दवाईयों के मोर्चे पर अच्छी खबर सामने आ रही है. भारत में इस वक्त करीब 20 दवाओं का ट्रायल किया जा रहा है. इनमें से कुछ को जल्द ही हरी झंडी मिल सकती है.
हालांकि कोरोना संक्रमण की गिरती संख्या को देख कर ऐसा लग रहा है कि इन दवाओं कि डिमांड फिलहाल थोड़ी कम होगी. लेकिन एक्सपर्ट्स का मानना है कि आने वाले दिनों ये दवा कोरोना की लहर को रोकेगी साथ ही ऐसे लोगों के लिए रामबाण साबित होगी जिनकी इम्यूनिटी थोड़ी कम है. स्वास्थ्य विशेषज्ञों के अनुसार कोरोना वायरस के खिलाफ भारत की लड़ाई में दवाएं बेहद महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी. उनका तर्क है कि कोविड -19 टीके केवल लोगों को इम्यूनिटी देगी. लेकिन ये वायरस कई लोगों की जान ले सकता है. ऐसे में दवा से काफी फायदा होगा.

वैक्सीन होने पर दवा की जरूरत क्यों?

एक्सपर्ट्स का मानना है कि कुछ लोग वैक्सीन लेने के बावजूद प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया उत्पन्न ( Immune Response) करने में सक्षम नहीं हो सकते हैं. या फिर ऐसे लोग जिन्हें वैक्सीन लने की सलाह नहीं दी जाती है उन पर वायरस के संक्रमण का खतरा लगातार बना रहता है. विशेषज्ञों का मानना ​​है कि 100% आबादी को टीकों के साथ कवर करना बेहद असंभव है और ऐसे में कोरोना वायरस का इलाज करना बहुत अहम है. उदाहरण के लिए चेचक को दशकों पहले खत्म कर दिया गया था. इसके लिए साल 2020 में Tecorivimat नाम की दवा को अमेरिका ने मंजूरी दी थी. जबकि कई वर्षों से चेचक का कोई मामला सामने नहीं आया था.

कौन-कौन सी दवा का चल रहा है ट्रायल

मोलनुपिरवीर: अमेरिकी फार्मा दिग्गज मर्क एंड रिजबैक बायोथेरेप्यूटिक्स की ओरल एंटीवायरल दवा मोलनुपिरवीर ने कोरोना के खिलाफ अब तक अच्छा काम किया है. इस दवा को लेने वाले 50% लोगों को अस्पताल में भर्ती होने की जरूरत नहीं पड़ी है. साथ ही इस दवा के इस्तेमाल से मौत की दर में भी 50% तक की कमी देखी गई है. भारत में इस दवा का ट्रायल सिप्ला, डॉक्टर रेड्डीज लैबोरेट्रीज, सन फार्मास्युटिकल इंडस्ट्रीज और टोरेंट फार्मास्यूटिकल्स के जरिए किया जा रहा है.
ज़ायडस कैडिला: अहमदाबाद स्थित Zydus Cadila एकमात्र भारतीय कंपनी है जिसने मोनोक्लोनल एंटीबॉडी को बेअसर करने वाला कॉकटेल इलाज विकसित करने का दावा किया है. स्विस दवा निर्माता रोश द्वारा निर्मित ये दवा पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प को दी गई थी. भारत में इस दवा का दूसरे और तीसरे फेज़ का ट्रायल चल रहा है.
ग्लेनमार्क की नेसल स्प्रे: मुंबई स्थित ग्लेनमार्क द्वारा कोविड -19 के लिए नाइट्रिक ऑक्साइड नेज़ल स्प्रे को भारत में बड़े स्तर पर ट्रायल करने की मंजूरी दी गई है. ब्रिटेन में स्प्रे पर अध्ययन ने सुझाव दिया है कि ये कोविड -19 रोगियों में वायरल लोड को कम करने और फैलने से रोकने में प्रभावी है.
कई और दवाएं: इसके अलावा और भी ढेर सारी दवाओं पर रिसर्च किया जा रहा है. ये हैं- सीबीसीसी ग्लोबल रिसर्च के निकलोसामाइड, गुफिक बायोसाइंसेज के थाइमोसिन α-1 इंजेक्शन, सन फार्मा की दवा.

सरकार से सहयोग की जरूरत

स्वास्थ्य विशेषज्ञों के अनुसार सरकारों को सक्रिय रूप से कोविड -19 के ट्रायल का समर्थन करना चाहिए. हेल्थ एक्सपर्ट चंद्रकांत लहारिया ने कहा, ‘ वास्तव में, सरकार को उसी तरह सहयोग करना चाहिए जैसे वैक्सीन में किया गया. जैसे ही कोरोना मरीजों की संख्या गिरती है ट्रायल को पूरा करने में वक्त लगेगा. दरअसल ट्रायल के लिए आसानी से वॉलिएंटर नहीं मिलेंगे. इसलिए इन परीक्षणों का समर्थन करने की आवश्यकता है.’

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