Prabhat Times
नई दिल्ली। (Delhi Violence) दिल्ली में हुई हिंसा के बाद पुलिस एक्शन में है. एक तरफ तो दिल्ली में धरना लगाए बैठे किसानों के साथ पुलिस प्रशासन लगातार पंजाब में दबिश दे रही है. पता चला है कि दिल्ली पुलिस की टीमों ने सी.सी.टी.वी. फुटेज के आधार पर पंजाब के निहाल सिंह वाला ईलाके से 6 युवकों को हिरासत में लिया है. इस बारे में फिलहाल दिल्ली पुलिस द्वारा कोई अधिकारिक जानकारी नहीं दी गई है.
उधर, दिल्ली में हिंसा फैलाने वाले लोगों की पुलिस तलाश कर रही है. पुलिस के पास 200 से अधिक सी.सी.टी.वी. फुटेज, वॉयरल वीडियो मौजूद है. जिनके आधार पर हिंसा फैलाने वालों की पहचान की जा रही है.
अब दिल्‍ली पुलिस से जुड़े सूत्रों ने हिंसा भड़काने वाले 6 संदिग्‍धों की पहचान करने का दावा किया है. पुलिस ने 200 से ज्‍यादा वीडियो फुटेज के आधार पर इनकी पहचान की है.  इन 6 संदिग्धों की फुटेज के आधार पर हिंसा भड़काने को लेकर अहम भूमिका सामने आ रही है. फुटेज के आधार पर इन सभी तलाश की जा रही है. ये 6 लोग पंजाब से हिरासत में लिए गए युवक ही है, इसके बारे में फिलहाल अधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है।
दरअसल, पुलिस के पास जो तमाम सीसीटीवी और वीडियो मौजूद हैं, उनकी जांच के बाद इन 6 उपद्रवियों के बारे में पुलिस को पता चला है. अब इनकी तलाश तेज कर दी गई है.
जानकारी के मुताबिक, गणतंत्र दिवस की परेड के दौरान पुलिस ने 10 फोटोग्राफर और 10 वीडियो कैमरा बाहर से निजी तौर पर मंगवाए थे. गणतंत्र दिवस का प्रोग्राम खत्म होने के बाद इन सभी को हिंसा के दौरान भी काम पर लगा दिया गया था. अब इनसे भी तमाम वीडियो और फ़ोटो लिए गए हैं. इन फ़ोटो और वीडियो के आधार पर उपद्रवियों की पहचान की जा रही है.

किसान नेताओं का भड़काऊ वीडियो होने का भी दावा

उपद्रवियों की पहचान करने सुनिश्चित करने में पुलिस ने जनता की भी मदद मांगी है. पुलिस ने जनता से अपील की है कि हिंसा के दौरान जिन लोगों ने भी मोबाइल कैमरे से वीडियो बनाए हैं, वो पुलिस को दें. अब तक पुलिस को 200 से ज्यादा फुटेज मिल चुकी है. जांच के दौरान पुलिस को कुछ किसान नेताओ के वीडियो भी मिले हैं जो भड़काऊ भाषण दे रहे थे. उनके वीडियो की जांच की जा रही है.
किसान आंदोलन जब से शुरू हुआ तब से लेकर 26 जनवरी तक जितने भी व्हाट्सएप ग्रुप बने हैं, उन सभी की जांच की जा रही है. दरअसल, जांच के दौरान सामने आया है कि कुछ व्हाट्सएप ग्रुप्स में किसान आंदोलन को भड़काने का काम किया गया.

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