Prabhat Times
जालंधर। कोरोना काल में छात्रों के अभिभावकों और स्कूल प्रबंधन के बीच फीसों को लेकर चल रहा विवाद निपटने का नाम नहीं ले रहा है। मामले में अदालती हस्तक्षेप के बावजदू रोजाना किसी न किसी बात पर स्कूल प्रबंधन और अभिभावक आमने सामने हो रहे हैं।
आज भी जालंधर के मकसूदां एरिया में स्थित सी.टी. पब्लिक स्कूल में पिछले साल के पैंडिंग एनूएल चार्जेज को लेकर विवाद खड़ा हो गया है। अभिभावकों का आरोप है कि स्कूल प्रबंधन द्वारा बच्चो के परीक्षा परिणाम नहीं दिए जा रहे हैं। अभिभावकों से फीस देने संबंधी लिखित मांगा जा रहा है। उधर, स्कूल प्रबंधन का कहना है कि अदालत के आदेश के मुताबिक ही वे काम कर रहे हैं।
जानकारी के मुताबिक स्कूलों में कक्षाओं के ऑनलाइन परीक्षाएं हो चुकी हैं और अब परीक्षा परिणाम जारी होने की समय है। परीक्षा परिणाम को लेकर पिछले कई दिनों सी सी.टी. पब्लिक स्कूल के स्टाफ और छात्रों के अभिभावकों के बीच विवाद चल रहा था। आज सुबह विवाद तूल पकड़ गया।
परीक्षा परिणाम न मिलने के कारण अभिभावकों ने स्कूल के बाहर अपना विरोध जताया। छात्रों के अभिभावक दीपक, संदीप, सतपाल, गुरवीर, लवली व अन्यो ने बताया कि वे कई दिनों से बच्चों के परीक्षा परिणाम लेने के लिए स्कूल के चक्कर काट रहे हैं। लेकिन स्कूल स्टाफ द्वारा उन्हें कहा जा रहा है कि व पिछले साल के बकाया राशि जमा करवाएं। या फिर लिखित दें कि वे कब तक फीस जमा करवा सकते हैं।
पेरेंटस का आरोप है कि स्कूल प्रबंधन परीक्षा परिणाम देने को मना कर रहे हैं। इसी बात को लेकर आज पेरेटंस और स्टाफ में तीखी नोकझोंक हो रही है। विवाद की सूचना मिलते ही थाना नम्बर 1 की पुलिस मौके पर पहुंच चुकी है।

अदालत के आदेशों के मुताबिक ही कर रहे हैं काम:एम.डी. मनवीर सिंह

इस संबंधी संपर्क करने पर सी.टी. पब्लिक स्कूल के एम.डी. मनवीर सिंह ने परीक्षा परिणाम देने से इंकार करने के आरोपों को गल्त बताया। एम.डी. मनवीर ने बताया कि अदालत के स्पष्ट निर्देश है कि वार्षिक चार्जेज 70 प्रतिशत तथा टयूशन फीस ले सकते हैं। इसके पश्चात अदालत ने आदेश दिए हैं कि जो अभिभावक फीस नहीं दे सकते, वे कारण बताएं।
एम.डी. मनवीर के मुताबिक अदालत के आदेश है कि जो अभिभावक बकाया राशि की किश्त करना चाहें, वे लिखित दें और उनकी बकाया राशि किश्तों में (अगस्त तक) देंगे। इसके साथ ही अदालत के आदेश है कि जो पेरेंटस फिर भी फीस जमा करवाने में असमर्थता जताते हैं तो वे पिछले सालों का अपना फाईनांशियल रिकार्ड स्कूल प्रबंधन को दें, ताकि उस पर कोई फैसला लिया जा सके। मनवीर सिंह ने स्पष्ट किया कि परीक्षा परिणाम देने से इंकार करने के आरोप गल्त हैं।

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