Prabhat Times
नई दिल्ली। कोरोना वायरस की रोकथाम के लिए देश को लॉकडाउन किया गया. इस दौरान प्राइवेट सेक्टर से लेकर केन्द्रीय कर्मचारियों को घरों से ही काम करने का कहा गया था.
ऐसे में अगर आप केन्द्रीय सरकार के कर्मचारी हैं और कोरोना लॉकडाउन के दौरान ऑफिस ना जाकर वर्क फ्रॉम होम किया तो आपको यात्रा भत्ता नहीं दिया जाएगा.
डिपार्टमेंट ऑफ पर्सनल एंड ट्रेनिंग (DoPT) ने कार्यालय ज्ञापन (Office Memorandum) में इस पर स्पष्टीकरण दिया है.

लॉकडाउन के दौरान ऑफिस नहीं आने वालों को नहीं मिलेगा TA

1 दिसंबर 2020 को जारी ऑफिस मेमोरेंडम में यह कहा गया है कि केन्द्रीय कर्मचारियों को यात्रा भत्ता उनके घर से ऑफिस तक आने के दौरान हुए खर्च की भरपाई के लिए दिया जाता है.
हालांकि, लॉकडाउन के दौरान कर्मचारियों ने अगर अपने घरों से ही काम किया है और वे ऑफिस नहीं आए हैं तो वह पूरे महीने की यात्रा भत्ता पाने के हकदार नहीं होंगे.
DoPT ने कहा- “लॉकडाउन के दौरान पूरे महीने ऑफिस नहीं आने वाले केंद्रीय कर्मचारी यात्रा भत्ता पाने के योग्य नहीं होंगे क्योंकि इन कर्मचारियों को ऑफिस आने के लिए कुछ भी खर्च नहीं करना पड़ा है.”
कोविड-19 संक्रमण की रोकथाम के लिए लॉकडाउन के दौरान केन्द्र सरकार ने कुछ निश्चित कर्मचारियों को ऑफिस आने से छूट दी थी. यह आदेश इसी को लेकर जारी किया गया है.

गर्भवती और विक्लांग कर्मचारियों को भी नहीं मिलेगी यात्रा भत्ता

इसके साथ ही, डोओपीटी की तरफ से जारी किए गए ताजा ऑफिस मेमोरेंडम में यह कहा गया है कि लॉकडाउन के दौरान जिन गर्भवती महिला और विक्लांग कर्मचारियों को ऑफिस आने से छूट दी गई थी उन्हें भी यात्रा भत्ता नहीं दिया जाएगा क्योंकि इन्हें भी ऑफिस आने के लिए एक भी पैसा खर्च नहीं करना पड़ा है.

विरोधी स्वर

भारतीय प्रतिरक्षा मजदूर संघ ने वित्त मंत्रालय में व्यय विभाग के सचिव से उक्त आदेशों को वापस लेने की मांग की है.
वित्त मंत्रालय का यह आदेश न केवल अप्रिय है, बल्कि यह नियमों का उल्लंघन भी है.
मजदूर संघ के मुताबिक, कोरोना संक्रमण के दौरान यात्रा भत्ता (ट्रांसपोर्ट अलाउंस) न देना, यह फैसला सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के खिलाफ है.
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