Prabhat Times
नई दिल्ली। कृषि कानूनों (farm laws) को लेकर किसानों (farmer) और केंद्र के बीच चल रहे विवाद का कोई समाधान नहीं हो सका है। केंद्र द्वारा दिए गए सुझावों को ठुकरा कर किसानों ने अपने ईरादे स्पष्ट कर दिए हैं। आज की करीब 20 25 मिनट की बैठक में सरकार ने एक ही बात कही कि जो प्रोपोज़ल दी है, उस पर विचार करके एक दो दिन में बता दें। इसके पश्चात कृषि मंत्री चले गए।
इसी के साथ ही किसान नेताओं ने फिलहाल जारी ब्यान में कहा है कि वे आपस में बात करेंगे। लेकिन अब 26 जनवरी के बाद ही कुछ होगा। वे ट्रैक्टर रैली की तैयारी करेंगे। किसानों ने कहा कि आज रात शुक्रवार को किसान जत्थेबंदियों द्वारा आपसी मीटिंग की जाएगी। जिसमें अगली रणनीति पर चर्चा होगी।
आज शुक्रवार को हुई 11वीं मीटिंग आज दोपहर विज्ञान भवन मे शुरू हुई। बैठक शुरू होते ही कृषि मंत्री ने डेढ साल तक कानून सस्पैंड करने के सुझाव को ठुकराने संबंधी मीडिया में ब्यान जारी करने पर किसानों से नाराजगी जताई।
कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर, पीयूष गोयल ने कहा कि सरकार के पास कानूनों को लेकर जो बदलाव कर सकते थे उस संबंधी सुझाव किसानों को दिए हैं। केंद्रीय मंत्री ने सरकार द्वारा दिए गए सुझाव पर फिर से विचार करने के लिए किसानों को कहा।
पता चला है कि सरकार ने कहा है कि अब उनके पास फिलहाल और कोई नुक्ता नहीं है। किसानों ने कहा कि जब तक कानून रद्द नहीं होंगे तब तक आंदोलन जारी रहेगा। तल्खी होती देख मीटिंग शुरू होने के करीब 15 मिनट बाद ही लंच ब्रेक कर दी गई।
पता चला है कि नरेंद्र तोमर ने एक बार दोहराया कि सरकार के पास जो था वो सुझाव दे दिए गए हैं। अब किसान देखें वे क्या करेंगे। नरेंद्र तोमर बीच से ही उठ कर चले गए। जबकि पीयूष गोयल तो लंच के बाद बैठक में आए ही नहीं।
लेकिन किसानों ने स्पष्ट कर दिया है कि बातचीत जितनी बार मर्जी करो, लेकिन वे कानूनों को रद्द करने के ईलावा और कुछ भी मानने को तैयार नहीं है। 11 वी बैठक में भी कोई समाधान न होने के कारण गतिरोध बढ़ गया है।
लंच के बाद करीब एक घण्टे तक चली बैठक में कृषि विभाग के अधिकारी ही मौजूद रहे, जिस कारण बैठक शुरू ही नहीं हो पाई।
काफी समय के इंतज़ार के बाद करीब सवा पांच बजे सभी बाहर आ गए। बाहर आए किसानो ने कहा है कि फिलहाल कोई नतीजा नहीं निकला है। किसानों ने बताया कि अगली मीटिंग की कोई तिथि बताए बिना ही सरकारी मंत्री और अधिकारी वहां से चले गए।
किसानो ने कहा कि बातचीत के लिए गए थे और करीब तीन घण्टे तक इंतज़ार करते रहे।11वीं मीटिंग सिर्फ 20 25 मिनट ही हुई। किसानों ने सरकार के रवैये पर भी रोष जताया है।
किसानों के मुताबिक सरकार ने कहा कि सरकार ने कहा है कि अगर उनकी प्रोपोज़ल, सुझाव उन्हें मंजूर है तो ठीक, नहीं तो उनके पास फिलहाल और कोई सुझाव नहीं है।
किसान नेताओं ने बताया कि केंद्रीय मंत्रियों को बताया गया है कि किसान नेता राकेश टिकैत और डाक्टर दर्शन पाल को जान से मारने की धमकियां फोन और सोशल मीडिया पर मिल रही हैं। किसान नेता की कार का शीशा दिल्ली पुलिस कर्मी द्वारा तोड़ने का मामला भी उठाया गया है।
उधर, दिल्ली पुलिस के साथ हुई बैठक में भी पुलिस ने किसानों को ट्रैक्टर रैली के लिए मंजूरी नहीं दी है। किसानों ने यहां भी स्पष्ट किया कि वे हर हाल में ट्रैक्टर रैली निकालेंगे।

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