Prabhat Times
नई दिल्ली। किसानों और केंद्र सरकार के बीच आज सारा दिन चली 5वें दौर की बैठक भी बेनतीजा रही। किसान और केंद्र दोनो अपने अपने ईरादों पर अडिग हैं।
किसान कृषि विधेयक वापस लेने की बात पर अड़ें हैं तो सरकार ने भी आज स्पष्ट कर दिया है कि विधेयक वापस नहीं होंगे, लेकिन इसमें संशोधन जरूर हो सकता है।
दिन भर की उठापटक के बाद बैठक का कोई नतीज़ा नहीं निकला है। अगली बैठक 9 दिसंबर को रखी गई है।
नए कृषि कानूनों के खिलाफ किसान आंदोलन का आज 10वां दिन है। 10 दिन से दिल्ली की सीमाओं पर डटे किसान केंद्र की मोदी सरकार के खिलाफ आर-पार की लड़ाई के लिए कमर कस चुके हैं।
भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत ने कहा कि सरकार एक मसौदा तैयार करेगी और हमें देगी। उन्होंने कहा कि वे राज्यों से भी सलाह लेंगे।
एमएसपी पर भी चर्चाएं हुईं लेकिन हमने कहा कि हमें कानूनों को भी अपनाना चाहिए और उनको वापस लेने पर भी बात करनी चाहिए। भारत बंद का ऐलान अटल है।
सरकार से बातचीत के दौरान किसान नेताओं ने कहा कि हमारे पास एक साल की सामग्री है। हम पिछले कई दिनों से सड़क पर हैं। अगर सरकार चाहती है कि हम सड़क पर रहें, तो हमें कोई समस्या नहीं है।
हम अहिंसा का रास्ता नहीं अपनाएंगे। इंटेलिजेंस ब्यूरो आपको सूचित करेगा कि हम विरोध स्थल पर क्या कर रहे हैं।
उन्‍होंने कहा कि हम कॉरपोरेट फार्मिंग नहीं चाहते हैं। इस कानून से सरकार को फायदा होगा, किसान को नहीं।
कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने बैठक के दौरान किसान नेताओं से अनुरोध किया, ‘मैं आप सभी से अपील करता हूं कि विरोध करने वाले वरिष्ठ नागरिकों और बच्चों से घर भेजा जाए।’
बैठक के दौरान किसान नेताओं ने मौन धारण कर लिया है। किसान नेता तख्‍ती लेकर बैठ गए हैं।
उनका कहना था कि अब जवाब हां या नहीं में चाहिए। जबकि बैठक के कमरे से कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और पीयूष गोयल बाहर निकल गए हैं।
विज्ञान भवन के बाहर किसान प्रतिनिधियों का कहना है कि वह केवल हां और नहीं में जवाब चाहते हैं। किसान नेता केवल कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग पर अड़े हैं।
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