Prabhat Times
नई दिल्ली। कृषि कानूनों (Farm Laws) के विरोध में चल रहा आंदोलन कमजोर होता नज़र आ रहा है। एक दिन पहले तक हर समाज के हर वर्ग से मिल रहे समर्थन अब कम हो गया है। लाल किले पर हुई हिंसक घटना ने हर देशवासी को झकझौर कर रख दिया है। यहां तक कि किसान नेता खुद इस हिंसा की निंदा कर चुके है।
लेकिन शांतमय ढंग से चल रहे किसान आंदोलन की राह अब आसान नहीं रही है। बीते दिन दो संगठनो द्वारा खुदको आंदोलन से अलग करने के ऐलान के बाद आज हरियाणा के जिला रिवाड़ी के करीब 15 गांवो की संयुक्त पंचायत ने धरने पर बैठे किसानों को चेतावनी दी है कि वे 24 घण्टे के भीतर सड़कें खाली कर दें।
भारतीय किसान यूनियन के दो गुटों के आंदोलन से अलग होने के बाद दिल्ली-नोएडा के चिल्ला बॉर्डर पर आंदोलन खत्म हो गया है. देर रात बोल्डर औऱ बैरिकेडिंग हटा दिए गए हैं. बता दें कि ये रास्ता 58 दिन से बंद था, जो अब खोल दिया गया है.

दिल्ली सहारनपुर हाईवे से हटाया गया धरना

कृषि कानूनों के विरोध में बागपत के बड़ौत शहर में दिल्ली-सहारनपुर हाईवे पर 19 दिसंबर से चले आ रहे किसानों के धरने को देर रात पुलिस ने जबरन उठवा दिया है. पुलिस ने धरने में सो रहे किसानों को लाठियां भांज कर खदेड़ दिया और टेंट को उखाड़ कर सामान भी वहां से हटवा दिया. उधर, धरनास्थल से किसानों पर लाठीचार्ज का वीडियो वायरल हुआ है जबकि पुलिस-प्रशासन इस कार्रवाई को शांतिपूर्ण ढंग से होने का दावा कर रहा है.

बार्डर पर बनी रही हंगामे की स्थिति

उधर, नए कृषि कानूनों के खिलाफ जारी किसान आंदोलन को लेकर देर रात गाजीपुर बॉर्डर में हंगामे की स्थिति बन गई. भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता राकेश टिकैत का आरोप है कि पुलिस ने रात को इनके कैंप की बिजली काट दी. किसानों ने पुलिस और सरकार पर आंदोलन को अस्थिर करने का आरोप लगाया है.
किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा कि प्रशासन ने आज माहौल खराब कर दिया है. लाइट बंद कर दी. डर का माहौल बनाया जा रहा है. इसलिए हम लोग यहां रात में जाग रहे हैं. प्रशासन चाहता है कि हमारा आंदोलन खत्म हो जाए. टिकैत ने दिल्ली पुलिस द्वारा एफआईआर दर्ज करने के सवाल पर कहा कि जब आंदोलन कर रहे है, तब मामला दर्ज किया जाएगा.
भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा कि अगर दिल्ली पुलिस जांच को ज्वॉइन करने के लिए बुलाएगी तो जरूर जाएंगे. कुछ किसान संगठनों द्वारा प्रदर्शन वापस लेने पर टिकैत ने कहा कि गाजीपुर बॉर्डर पर बिजली कटते ही वो लोग भी गायब हो गए.
किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा कि हमारा आंदोलन जारी रहेगा, लाल किले पर जो कुछ हुआ और जिसने भी किया, उसके खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए, जो भी हुआ और जिसने भी किया, हम उनके साथ नहीं है, ट्रैक्टर रैली का जो रूट था, उस पर पुलिस ने जाने नहीं दिया.
आपको बता दें कि दिल्ली में हुई हिंसा के बाद किसान संगठनों में दरार देखने को मिल रही है. नोएडा के चिल्ला बॉर्डर पर किसान संगठन भारतीय किसान यूनियन (भानु) ने धरना खत्म करने का ऐलान किया है. वहीं, मजदूर किसान यूनियन ने भी आंदोलन से अलग होने का एलान कर दिया है, जिसके बाद से चिल्ला बॉर्डर से बेरिकेड्स हटा दिए गए हैं.

15 गांवो की पंचायत ने दी चेतावनी

ट्रैक्टर रैली के दौरान लाल किले पर हुई हिंसा के बाद हरियाणा में विरोध कर रहे किसान बुधवार को अपना समर्थन खोते दिखे. हरियाणा के रेवाड़ी जिले में कम से कम 15 गांवों की एक पंचायत ने बुधवार को तीन केंद्रीय कृषि कानूनों के विरोध में दिल्ली-जयपुर राष्ट्रीय राजमार्ग पर डेरा डाले किसानों से 24 घंटे के भीतर सड़क खाली करने को कहा.

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