Prabhat Times
नई दिल्ली। केंद्र सरकार के तीन नए कृषि कानूनों को लेकर दिल्ली के विज्ञान भवन में सरकार और किसान संगठनों के बीच चली बैठक मंगलवार शाम को खत्म हो गई।
हालांकि, बैठक में कोई भी नतीजा नहीं निकल सका है और फिर से तीन दिसंबर को बातचीत होगी।
किसानों के प्रतिनिधिमंडल सदस्य चंदा सिंह ने कहा कि कृषि कानून के खिलाफ हमारा आंदोलन जारी रहेगा।
और हम सरकार से कुछ न कुछ वापस जरूर लेकर जाएंगे, चाहे वह गोली हो या फिर शांतिपूर्ण। हम फिर से उनके पास चर्चा के लिए आएंगे।
इसस पहले सरकार ने किसानों के नेताओं से कहा कि आप नए कृषि कानूनों पर चर्चा के लिए अपने संगठन से 4-5 लोगों का नाम दें।
एक कमेटी का गठन करें जिसमें सरकार के प्रतिनिधि और कृषि विशेषज्ञ भी होंगे। लेकिन किसानों ने सरकार के इस प्रस्ताव को ठुकरा दिया।

चाय का ऑफर ठुकरा कर कि जलेबियां ऑफर

एमएसपी पर प्रजेंटेशन के बाद मंत्रियों ने बैठक में टी ब्रेक लिया। मंत्रियों ने किसानों से भी चाय के लिए पूछा। तभी एक किसान ने खड़े होकर कहा कि वे (मंत्री) उनके साथ सिंघु बॉर्डर पर जलेबियां और लंगर चखें।
यही नहीं, किसानों ने मंत्रियों की ओर से दिए गए चाय के प्रस्ताव को ठुकरा दिया। इस बैठक के बाद किसान नेता बाहर निकल आए।

5 दिन से चल रहा है संघर्ष

वहीं, केंद्र सरकार के कृषि कानूनों के खिलाफ पंजाब और हरियाणा से आए हजारों किसानों का पिछले पांच दिनों से हल्ला बोल जारी है।
देश की राजधानी दिल्ली की सीमा पर हजारों किसान पिछले पांच दिनों से धरना पर डटे हैं और आज उनके प्रदर्शन का छठा दिन है।

केंद्रीय कृषि कानूनों के खिलाफ उनका यह धरना सोमवार को पांचवें दिन में प्रवेश कर गया। इन कानूनों के बारे में किसानों को आशंका है कि इससे न्यूनतम समर्थन मूल्य समाप्त हो जाएगा।
किसानों के प्रदर्शन की वजह से सिंघु और टिकरी बॉर्डर बंद है, वहीं गाजीपुर बॉर्डर पर ठोस बैरिकेडिंग की गई

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