नई दिल्ली (ब्यूरो): कोरोना संकट के दौरान प्रधानमंत्री उज्जवला योजना में तीन महीने तक गरीबों को निशुल्क LPG Cylinder बांटने का फैसला किया गया था। इसमें अप्रैल और मई में लाभार्थियों के खाते में प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण के तहत अकाउंट में रुपए भेजे जाते थे।

मगर जून महीने में सरकार ने इस नीति में बदलाव किए हैं। नए नियमों के तहत अब लाभार्थी को जून महीने में खुद एलपीजी सिलेंडर की कीमत चुकानी होगी। सरकार बाद में धनराशि को उनके अकाउंट में डालेगी।

तीन एलपीजी देने का प्रावधान

इस योजना के तहत 14.2 किलोग्राम वाले तीन एलपीजी सिलेंडर और 5 किलो वाले 8 एलपीजी सिलेंडर देने का प्रावधान था। लाभार्थी एक महीने के अंदर 14.2 किग्रा वाला एक ही सिलेंडर ले सकते थे।

इस स्कीम को सफल बनाने के लिए 1000 एलपीजी वितरकों के साथ बैठक कर इसकी रणनीति तैयार की गई थी। इसमें ये सुनिश्चित किया गया था कि लाभार्थियों को तय समय सीमा में आसानी से सिलेंडर उपलब्ध कराया जा सके।

पूरा नहीं हुआ टारगेट

इस योजना के तहत 24 करोड़ एलपीजी सिलेंडर (LPG Cylinder)  वितरित करने का टारगेट रखा गया था लेकिन ये पूरा नहीं हो सका। 20 मई तक महज 6.8 करोड़ सिलेंडर ही वितरित हो पाए हैं। ऐसे में जून के आखिरी तक 15 करोड़ से कम एलपीजी सिलेंडर के वितरित हो पाने का अनुमान है।

क्या है उज्जवला योजना

प्रधानमंत्री उज्जवला योजना PMUY के तहत बीपीएल कैटेगरी के लोग आते हैं। यह योजना केंद्र सरकार के पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय के सहयोग से चलाई जा रही है।

खाना पकाने के लिए परंपरागत तरीके आजमाने से महिलाओं के स्वास्थ को होने वाले नुकसान से बचाने के लिए यह योजना चलाई गई है। लॉकडाउन के दौरान केंद्र सरकार ने इस योजना में कुछ और सहूलियतों को जोड़ा। इससे हर महीने एक सिलेंडर मुफ्त में दिए जाने का प्रावधान है।