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नई दिल्ली। सरकारी टेलिकॉम कंपनी बीएसएनएल (BSNL) और एमटीएनएल (MTNL) को घाटे से निकालने के लिए केंद्र सरकार की तरफ से बड़ा दांव खेला गया है।
केंद्र सरकार ने सभी मंत्रियों और उनके मंत्रालय, सरकारी विभागों सरकारी क्षेत्र की यूनिट के लिए बीएसएनएल और एमटीएनएल का इस्तेमाल अनिवार्य कर दिया है।
इस मामले में दूरसंचार विभाग (डीओटी) की ओर से एक नोटिफिकेशन जारी किया गया है, जिसमें भारत सरकार ने सभी मंत्रालयों, सरकारी विभागों, पीएसयूएस, सेंट्रल ऑटोमोनस ऑर्गनाइजेशन में बीएसएनएल और एमटीएनएल के इस्तेमाल को अनिवार्य करने को मंजूरी दी गई है।
बीतें 12 अक्टूबर को इस बाबत नोटिफिकेशन वित्त मंत्रालय के साथ बातचीत के बाद केंद्र के सभी विभाग और उनके सचिवों को जारी किया गया है।

तेजी से घटे दोनों कंपनियों के सब्सक्राइबर

सभी मंत्रालयों और सरकारी दफ्तरों में बीएसएनएल और एमटीएनएल को अनिवार्य करने का निर्णय वित्त मंत्रालय के साथ चर्चा के बाद कैबिनेट की बैठक में लिया गया था।
इस निर्णय के बाद ही दूरसंचार विभाग की तरफ से सभी मंत्रियों, उनके मंत्रालयों और विभागों के साथ ही अन्य सरकारी संस्थाओं एक नोटिस भेजा गया।
इसमें बीएसएनएल और एमटीएनएल टेलिकॉम सर्विस इस्तेमाल का निर्देश दिया गया। इसमें इंटरनेट, ब्रॉडबैंड, लैंडलाइन और लीज्ड लाइन जैसी सर्विस शामिल हैं।
सरकार की तरफ से सरकारी टेलिकॉम कंपनी भारत संचार निगम लिमिटेड (BSNL) और महानगर टेलीफोन निगम लिमिटेड (MTNL) के घाटे को दूर करने के लिए इस तरह का कदम उठाया गया है।
यह दोनों कंपनियां भारत में अपने वायरलाइन सब्सक्राइबर्स को तेजी से खो रही थीं।

सरकार ने राहत पैकेज का किया ऐलान

साल 2019-20 में BSNL को कुल 15,500 करोड़ रुपये का घाटा हुआ है, और MTNL को कुल 3,694 रुपये का नुकसान उठाना पड़ा है।
BSNL का वायर लाइन सब्सक्राइबर बेस तेजी से घटा है, जहां नवंबर 2008 में बीएसएनएल के कुल 2.9 करोड़ वायरलाइन सब्सक्राइबर थे, जिनकी संख्या इस साल जुलाई में घटकर 80 लाख हो गई है।
इसके अलावा फिक्स्ड लाइन कस्टमर की संख्या इस साल जुलाई में घटकर 30.7 लाख हो गई, जो नवंबर 2008 में 35.4 लाख से ज्यादा थी।
एमटीएनएल ने अपने नेटवर्क और ऑपरेशन का विस्तार करके सॉवरेन बांड के जरिए 8,500 रुपये इकट्ठा किये, जबकि एमटीएनएल को कैबिनेट की तरफ से 6,500 रुपये के सावरेन बांड जारी करने का निर्देश दिया है।

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