नई दिल्ली (ब्यूरो): कोरोना वायरस जानवरों से इंसानों को संक्रमित करने और उनमें तेजी से फैलने के अनुकूल था। एक हालिया स्टडी ने जानवर से इंसान में फैलने वाली इस महामारी पर प्रकाश डाला है।

यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्सास के शोधकर्ताओं ने जानवरों में कोरोना और उससे मिलते-जुलते वायरस का अनुवांशिक विश्लेषण किया है। उन्होंने पाया कि यह वायरस चमगादड़ों को संक्रमित करता है।

जर्नल साइंस एडवांसेज़ में प्रकाशित इस स्टडी के मुताबिक, SARS-CoV-2 ने जीन के टुकड़े का आदान-प्रदान कर इंसानों को संक्रमित किया था जो एक पैंगोलिन नाम के एक स्तनधारी जीव को भी संक्रमित करता है।

इसके बाद वायरस अनुवांशिक कोशिकाओं में परिवर्तन के साथ एक प्रजाति से दूसरी प्रजाति तक संक्रमण फैलाता गया। शोधकर्ताओं ने बताया कि वायरस के सरफेस पर एक स्पाइक प्रोटीन पाया जाता है जो कोशिकाओं से जुड़कर उन्हें संक्रमित करने का काम करता है।

ड्यूक यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर फेंग गाओ ने बताया कि असली SARS भी इसी तरह चमगादड़ से कस्तूरी बिलाव और MERS चमगादड़ से ऊंट में फैला था। इसके बाद इसने इंसानों को संक्रमित किया था।

शोधकर्ताओं का कहना है कि वायरस से जुड़ी ऐतिहासिक जानकारियां जुटाने से आने वाले समय में महामारी से निपटने में मदद मिलेगी और ये वैक्सीन बनाने में भी काफी काम आ सकते हैं।

शोधकर्ताओं ने स्टडी में यह भी दावा किया है कि पैंगोलिन में पाए जाने वाला कोरोना वायरस इंसानों को संक्रमित करने वाले SARS-CoV-2 से एकदम अलग है।

पैंगोलिन के कोरोना वायरस में एक रिसेप्टर-बाइंडिंग साइट होती है जो कोशिका झिल्ली को बांधने के लिए जरूरी स्पाइक प्रोटीन का एक हिस्सा होती है। इंसानों में संक्रमण के लिए यह काफी महत्वपूर्ण है।

इसी बाइंडिंग साइट के जरिए सेल्स सरफेस प्रोटीन रेस्पिरेटरी सिस्टम, इंटसटाइनल एपिथेलियल सेल्स, एंडो-थेलियल सेल्स और किडनी सेल्स को संक्रमित करता है।

चमगादड़ में पाए जाने वाले कोरोना वायरस की बाइंडिंग साइट भी SARS-CoV-2 से बेहद अलग है। वैज्ञानिकों का स्पष्ट तौर पर कहना है कि इस तरह की बाइंडिंग साइट ह्यूमन सेल्स को इनफ्केट नहीं कर सकती है।

SARS-CoV-2 ने इंसानों को कैसे संक्रमित किया, यह जानने के लिए चमगादड़ और पैंगोलिन में कोरोना वायरस जैनेटिक मैटीरियल का ढंग से विश्लेषण करना जरूरी है।