Prabhat Times
जालंधर। (Illegal Colony Extend) खेती लायक जमीनों को कंकरीट में बदल कर दिन रात चांदी कूट रहे कोलोनाईज़रों  द्वारा आम जनता को तो सपनों का आशियाना देने का लालच देकर अवैध कालोनियों में प्लाट दिए जाते हैं और सरकार को रैविन्यू का चूना लगाया जाता है। लेकिन कई कोलोनाईज़र ऐसे भी हैं जो रैविन्यू देकर अप्रूवड कालोनी तैयार करके सरकार की नज़र में भी अप्रूवड कोलोनाईज़र बन जाते हैं लेकिन इसी अप्रूवड ‘चादर’ की आढ़ में कालोनी एक्सटैंड करके सरकार को करोड़ों का चूना लगा जाते हैं।
बता दें कि जालंधर में अवैध कालोनियों की भरमार है। राजनीतिक और अफसरशाही के संरक्षण में ये अवैध कालोनियां धड़ल्ले से कटती हैं। ऐसा नहीं कि कोलोनाईज़र सारा रेविन्यू अपनी पॉकेट में डालते हैं, बल्कि सरकार खजाने में जाने वाला रैविन्यू राजनीतिज्ञों और अफसरशाही की जेब में डाल कर खुद धड़ल्ले से नियमों का ताक पर रख कर कालोनी तैयार कर देते हैं।
महानगर में कई जगहों पर अप्रूवड कालोनी भी हैं, लेकिन इस अप्रूवड की आढ़ मे भी अनअप्रूवड का धंधा सरेआम होता है। बता दें कि जालंधर के ओल्ड होशियारपुर रोड़ पर कई साल पहले गुलमोहर सिटी के नाम से कालोनी काटी गई। कालोनी में सभी प्लाट बिक चुके हैं और कई परिवार वहां बस रहे हैं। बताना जरूरी है कि इस कालोनी के साथ जोड़ कर काटी गई अवैध कालोनी में दो-अढाई साल पहले उस समय के स्थानीय निकाए मंत्री नवजोत सिद्धू ने टैंट लगाकर प्रैस कान्फ्रैंस करके बड़े खुलासे किए थे।

अप्रूवड के साथ जोड़ दी गई अनअप्रूवड कालोनी

नवजोत सिद्धू के खुलासे के बाद भी ये कालोनी ज्यों की त्यों ही है। और तो और अवैध कालोनी को और भी एक्सटैंड कर दिया गया है। पता चला है कि कोलोनाईज़र द्वारा पहले से ही की गई प्लानिंग के मुताबिक अब इस कालोनी के साथ लगती जगह खरीदी और इसी कालोनी में से दीवार तोड़ कर कालोनी के बीच से ही दूसरी अवैध कालोनी को रास्ता दे दिया गया है। इस कालोनी में भी सड़कें डालने का काम किया जा रहा है।
सूत्रों ने बताया कि कोलोनाईज़रों द्वारा इस कालोनी को भी तैयार करके अप्रूवड रेटों पर ही बेच कर खासी कमाई की जाएगी। अति सूविज्ञ सूत्रों से पता चला है कि ये कालोनी तैयार करने वाले कोलोनाईज़र को सत्ता पक्ष के ही कुछ प्रभावशाली नेताओं का वरदहस्त प्राप्त है। ऐसा नहीं कि इस अवैध कालोनी पर संबंधित विभाग या अधिकारियों की नज़र नहीं है, लेकिन वे सभी चुप हैं। कारण राजनीतिक दबाव है या निजि हित, इस बारे में तो वे ही बता सकते हैं।

ये भी पढ़ें