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नई दिल्ली: कोरोना काल में इंडियन रेलवे बदलाव के दौर से गुजर रहा है। रेल मंत्रालय लगातार नई चीजों को लेकर एक्सपेरिमेंट कर रहा है। हाल के दिनों में रेलवे को बेहतर से बेहतर बनाने की प्रक्रिया में काफी नई चीजें देखने को मिली हैं।

फिर चाहे वो बैट्री से ट्रेन दौड़ाने की बात हो या फिर 2.8 किलोमीटर लंबी मालगाड़ी को सफलता पूर्वक चलाने की बात हो। अब रेलवे ने एक बड़ी घोषणा की है जिसके पूरा होते ही रेलवे में अभी तक का सबसे बड़ा बदलाव देखने को मिलेगा।

केंद्रीय रेल मंत्री पीयूष गोयल ने गुरुवार को कहा कि भारतीय रेलवे अगले 3.5 वर्ष में पूरी तरह बिजली से चलने वाला रेल नेटवर्क बन जाएगा। गुरुवार को सीआईआई के एक कार्यक्रम में रेल मंत्री पीयूष गोयल ने इस बात की जानकारी दी।

उन्होंने कहा कि 2024 तक रेलवे 100 फीसदी बिजली से चलने वाला रेल नेटवर्क होगा। इसी के साथ इंडियन रेलवे दुनिया का पहला इतना बड़ा रेल नेटवर्क होगा जो पूरी तरह बिजली से संचालित होगा।

उन्होंने कहा कि भारतीय रेल तेजी से अपने नेटवर्क को बिजली से जोड़ने यानी विद्युतीकरण की ओर बढ़ रहा है। पीयूष गोयल के मुताबिक वर्तमान में 55 फीसदी रेल का नेटवर्क बिजली से चलता है, जिस पर अगले 3.5 सालों में 100 फीसदी ट्रेनें बिजली से दौड़ने लगेंगी।

हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रेलवे के 100 फीसदी विद्युतीकरण की योजना को मंजूरी दी है। केंद्र से मिली मंजूरी के बाद रेल मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि भारत 100% इलेक्ट्रीफाइड रेल नेटवर्क बनाने की राह पर चल पड़ा है।

इसके तहत 120,000 किलोमीटर के ट्रैक पर काम होगा। गोयल ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘वन सन, वन वर्ल्ड, वन ग्रिड’ को बढ़ावा दिया है। हम इस पर काम कर रहे हैं। पीयूष गोयल ने कहा, 2030 तक हम उम्मीद करते हैं कि भारत दुनिया का सबसे बड़ा ग्रीन रेलवे होगा।

दरअसल, रेलवे ने 2030 तक अपने कार्बन उत्सर्जन को जीरो करने और नेटवर्क को पूरी तरह हरित करने का लक्ष्य निर्धारित किया है। इसके लिए रेलवे विद्युतीकरण के क्षेत्र में और सोलर प्लांट से बिजली प्राप्त करने के क्षेत्र में काम कर रहा है। रेलवे ने पूरा नेटवर्क दिसंबर 2023 तक बिजली पर आधारित करने का लक्ष्य निर्धारित किया है।

रेलवे ने 40,000 से ज्यादा रूट किलोमीटर (आरकेएम) का विद्युतीकरण पूरा कर लिया है जो ब्रॉड गेज मार्गों का 63 प्रतिशत है। इसमें कहा गया कि 2014-20 की अवधि के दौरान 18,605 किलोमीटर मार्ग का बिजलीकरण किया गया जबकि 2009-14 की अवधि के दौरान महज 3,835 किलोमीटर मार्ग को बिजली से जोड़ा जा सका था।

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