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जालंधर। (Jalandhar: Trace the robbery of 10 lakhs but the police is hiding something) कमिश्नरेट जालंधर में दहशत फैलाने वाले 10 लाख की लूट के मामला पुलिस ने ट्रेस कर लिया है।
डीसीपी जगमोहन सिंह और एडीसीपी सोहेल मीर द्वारा सिर्फ 3 घण्टे की जांच में ही मामला ट्रेस कर लूट की साजिश रचने वाले मुनीष कुमार को गिरफ्तार कर लिया है। आरोपी से लूट के 9.89 लाख रूपए बरामद कर लिए गए हैं.
बता दें कि सुबह सैंट्रल टाऊन ईलाके में 10 लाख रूपए की लूट की वारदात ने पुलिस तंत्र को हिला कर रख दिया। दिलबाग नगर एक्सटेंशन निवासी पंकज माटा ने पुलिस को बताया कि वे मार्किटंग का काम करता है।
वे सुबह 11 बजे अपने दोस्त मनीष गुप्ता पुत्र सुरेश कुमार वासी सैंट्रल टाऊन को व्यापार के 10 लाख रूपए देने आया था। उसने रूपए मनीष को पकड़ाए तो अचानक अज्ञात युवक उसके हाथ से रूपए लूट कर फरार हो गया।
सूचना मिलते ही डीसीपी जगमोहन सिंह, एडीसीपी सोहेल मीर, एसीपी नार्थ मोहित सिंगला मौके पर पहुंचे और जांच शुरू की।
डीसीपी जगमोहन सिंह ने बताया कि जांच में मनीष कुमार पर शक हुआ और उसे हिरासत में लिया गया। पूछताछ में खुलासा हुआ कि वारदात मनीष ने खुद ही करवाई है।
डीसीपी जगमोहन सिंह ने बताया कि आरोपी मनीष को गिरफ्तार करके उससे 9.89 लाख रूपए बरामद किए गए हैं।
पुलिस द्वारा जारी ब्यान में कहा गया है कि लूट करने वाले अज्ञात व्यक्ति के बारे में पूछताछ की जा रही है।

मामला ट्रेस, लेकिन कुछ तो छिपा रही है पुलिस

10 लाख की लूट की वारदात बेशक ट्रेस हो गई, एक गिरफ्तारी हुई और रूपए भी बरामद हो गए। लेकिन सारे मामले में कुछ तो ऐसा है जिसे कमिश्नरेट पुलिस छिपा रही है। पुलिस की थ्यौरी पर ध्यान दिया जाए तो कई सवाल अनसुलझे भी हैं।
पुलिस ने वारदात ट्रेस करने का दावा कर रही है। लेकिन रूपए लूट ले जाने वाले व्यक्ति के बारे में पुलिस ने फिलहाल कुछ नहीं बताया है, सिर्फ यही कहा गया है कि अज्ञात व्यक्ति की तलाश की जा रही है।
अगर लूट करने वाला अज्ञात व्यक्ति पुलिस की गिरफ्त में नहीं आया तो लूट के पैसे कैसे बरामद हो गए? क्या लूट की वारदात के तुरंत बाद लुटेरा मनीष को मिलकर लूट की राशि उसे सौंप गया था?
क्या लुटेरा इतने प्रोफैशनल है कि पुलिस को चकमा दे गया? मुनीष गुप्ता ने उसे लूट की वारदात के लिए कितने रूपए में राज़ी किया? क्या वाकई में पेरमैंट बिज़निस की थी? ऐसे कई सवाल हैं जिनके बारे में फिलहाल पुलिस चुप है।
इलाके में चर्चा तो यहां तक है कि कई राजनीतिक ताकतें इस मामले को दबाने के प्रयास में थी, लेकिन लूट का मामला हाईलाइट होने के कारण दबाया नहीं जा सका, लेकिन काफी कुछ गोलमोल कर दिया गया।
उधर, पुलिस अधिकारियों का कहना है कि लूट की वारदात हुई, पुलिस ने 3 घण्टे में ट्रेस कर दी। वारदात की सूचना से लेकर कार्रवाई तक सबकुछ ट्रांसपेरेंट है।

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10 लाख रिश्वत लेने के आरोप में डी.एस.पी. गिरफ्तार

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