Prabhat Times
नई दिल्ली। Loan Moratorium मामले पर Supreme Court रिजर्व बैंक और केंद्र सरकार के जवाब से संतुष्ट नहीं है।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हलफनामे में सभी सेक्टर की बात नहीं की गई है।
कोर्ट ने कहा कि कामत कमेटी की सिफारिशों का क्या हुआ, इसकी भी जानकारी नहीं है, जबकि वो पब्लिक डोमेन में होना चाहिए।
कोर्ट ने 1 हफ्ते के अंदर सरकार और RBI को जवाब दाखिल करने को कहा है।
सुनवाई के दौरान रियल एस्टेट डेवलपर्स ने भी सरकार के हलफनामे पर एतराज जताते हुए कहा कि सरकार ने रियल एस्टेट सेक्टर के लिए कुछ नहीं किया है।
हलफनामे में सरकार ने सिर्फ 2 करोड़ तक के कर्ज पर चक्रवृद्धि ब्याज में रियायत की बात कही है।

2 करोड़ तक के कर्ज पर अब ‘ब्याज पर ब्याज’ से राहत

केंद्र सरकार की तरफ से हजारों की संख्या में लोगों और एमएसएमई (MSME) लोन लेने वालों के लिए एक राहत की खबर का ऐलान किया गया है।
केंद्र द्वारा सुप्रीम कोर्ट में दायर एक हलफनामे में यह सूचित किया गया है कि छह महीने की लोन मोरेटोरियम अवधि के दौरान दो करोड़ रुपये तक के ऋण पर ब्याज पर ब्याज की छूट दी जाएगी।
हलफनामे में इस बात का जिक्र किया गया है कि अब चक्रवृद्धि ब्याज पर छूट की भार का वहन सरकार द्वारा किया जाएगा।

दो करोड़ रुपये तक के लोन में लगभग सभी तरह के कर्ज शामिल

केंद्र ने कहा कि संभावित सभी विकल्पों पर सावधानीपूर्वक विचार किए जाने के बाद सरकार ने छोटे कर्जदारों की मदद करने की पंरपरा बनाए रखी है।
इन दो करोड़ रुपये तक के ऋणों की श्रेणियों में एमएसएमई ऋण, शैक्षिक, आवास, उपभोक्ता, ऑटो, क्रेडिट कार्ड बकाया, उपभोग, व्यक्तिगत और पेशेवर ऋण शामिल हैं, जिन पर लागू चक्रवृद्धि ब्याज को माफ करने का फैसला लिया गया है।
केंद्र ने कहा कि जमाकर्ताओं पर वित्तीय बोझ और उनकी कुल निवल संपत्ति को प्रतिकूल रूप से प्रभावित किए बिना बैंकों के लिए चक्रवृद्धि ब्याज पर छूट के बोझ का वहन किया जाना संभव नहीं होगा और ऐसा जनता के हित में भी नहीं होगा।