Prabhat Times
चंडीगढ़। नवजोत सिंह सिद्धू (Navjot Singh Sidhu) का पंजाब कांग्रेस का नया सरदार बनना लगभग तय है। सिद्धू का नाम पार्टी हाईकमान ने लगभग फाइनल कर लिया है। हालांकि, अभी अधिकारिक घोषणा तो नहीं हुई है लेकिन सिद्धू कैंप ने अपने करीबी लोगों को तैयारियां शुरू करने के लिए कहना शुरू कर दिया है। बताया जाता है कि सिद्धू को पंजाब कांग्रेस का प्रधान बनाने का फैसला मंगलवार को दिल्ली में राहुल गांधी की अध्यक्षता में हुई बैठक में ही ले लिया गया था। हालांकि, अधिकारिक घोषणा से हाईकमान पार्टी के अंदर की प्रतिक्रियाओं पर मंथन कर लेना चाहती है।
जानकारी के अनुसार सिद्धू को प्रदेश प्रधान की कमान सौंप कर एक हिंदू और एक दलित नेता को कार्यकारी प्रधान भी लगाया जाएगा। ताकि हिंदू और दलित वर्ग में भी सकारात्मक संदेश जाए कि कांग्रेस ने उनके वर्ग को नजरंदाज नहीं किया है। बताया जाता है कि यह फॉर्मूला हाईकमान ने मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह की प्रतिक्रियाओं के बाद ही लिया है। अब तक कैप्टन का स्टैंड था कि अगर राज्य के दो प्रमुख पदों मुख्यमंत्री और प्रदेश प्रधान की सीट पर जट्ट समुदाय को ही प्रतिनिधित्व दे दिया जाता है तो हिंदू और दलित वर्ग पार्टी से छिटक सकता है। यही कारण है कि पार्टी इन दोनों ही वर्गों के एक-एक नेता को वर्किंग प्रधान लगा सकती है।

दो कार्यकारी अध्‍यक्ष पदों के लिए कई नेताओं के नाम चर्चा में

कार्यकारी अध्‍यक्ष पद के कई नेताओं के नामों की चर्चा है। हिंदू नेता में बटाला से पूर्व विधायक अश्वनी सेखड़ी का नाम आगे है। पिछले दिनों वह कांग्रेस छोड़ कर अकाली दल जाने की तैयारी में थे। मुख्यमंत्री और पार्टी हाईकमान के हस्तक्षेप के बाद ही उन्होंने शिरोमणि अकाली दल में जाने का फैसला त्याग दिया था। पार्टी के उच्च स्तरीय सूत्र बताते हैं कि सिद्धू ने भी पार्टी के नेताओं से संपर्क साधना शुरू कर दिया है। सिद्धू पार्टी नेताओं से सहयोग मांग रहे है।
बता दें कि कांग्रेस हाईकमान शुरू से ही नवजोत सिंह सिद्धू को प्रदेश की कमान सौंपने के पक्ष में था। कांग्रेस के प्रभारी हरीश रावत ने पंजाब की जिम्मेदारी उठाने के साथ ही सिद्धू को थापी देनी शुरू कर दी थी, लेकिन सिद्धू की राह में सबसे बड़ी बाधा मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह थे। सिद्धू के साथ छत्तीस का आंकड़ा होने के कारण कैप्टन कतई यह नहीं चाहते थे के प्रदेश कांग्रेस की कमान सिद्धू के हाथों में सौंपी जाए।
वहीं, यह भी तर्क दिए गए कि सिद्धू के पास संगठन में काम करने का कोई अनुभव नहीं है। साथ ही वह पार्टी में खासे जूनियर भी है। जानकारी के अनुसार, इन तमाम विपरीत परिस्थिति के बावजूद पार्टी हाईकमान सिद्धू को ही प्रदेश प्रधान बनाने पर तुला रहा। इसके पीछे सबसे बड़ा हाथ प्रियंका गांधी वाड्रा का माना जा रहा है। सिद्धू के प्रियंका से अच्छे संबंध है।

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