Prabhat Times
चंडीगढ़। एक तरफ नवजोत सिद्धू (Navjot Sidhu) को पंजाब में किसी तरह एडजस्ट करने का मामला कांग्रेस (Congress) हाईकमान की गले की फांस बना हुआ है और दूसरी तरफ नवजोत सिद्धू लगातार कैप्टन अमरिंदर सिंह को विपक्ष की तरह ही हर मुद्दे पर सवाल उठा रहे हैं। राज्य में बिजली कटों को लेकर विपक्ष तो धरने प्रदर्शन कर विरोध जता रहा है तो वहीं नवजोत सिद्धू ने आज एक बार फिर एक के बाद एक 9 ट्वीट करके कैप्टन अमरिंदर सिंह पर तीखा हमला किया है। नवजोत सिद्धू अपनी ही सरकार के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह की सार्वजनिक तौर पर आलोचना करने से पीछे नहीं हट रहे हैं। आज सिद्धू द्वारा किए गए ट्वीट में प्राइवेट थर्मल प्लांटों के साथ किए गए समझौतों के बारे में कोई फैसला न करने को लेकर आलोचना की है।
पंजाब में बिजली संकट को देखते हुए सरकार ने आज से ही बंदिशें लागू कर दी हैं, जिसमें दफ्तरों के समय में बदलाव किया गया है। दफ्तरों में एसी चलाने में मनाही की गई है। साथ ही इंडस्ट्री पर भी कट लगा दिया गया है। सिद्धू ने कहा कि बिजली संकट से निजात पाने के लिए इस तरह के कदम उठाने का कोई फायदा नहीं है। उन्होंने कहा कि यदि मुख्यमंत्री समय रहते सही कदम उठाते तो उन्हें दफ्तरों का समय बदलने और कट लगाने की जरूरत न पड़ती। बल्कि लोगों को 24 घंटे बिजली मुहैया करवाई जा सकती थी।
एक अलग ट्वीट में उन्होंने कहा कि पंजाब 4.54 रुपये प्रति यूनिट के हिसाब से बिजली की खरीद कर रहा है, जबकि राष्ट्रीय औसत 3.85 रुपये प्रति यूनिट है। चंडीगढ़ 3.44 रुपये प्रति यूनिट अदा कर रहा है। पंजाब की तीन प्राइवेट थर्मल प्लांटों पर निर्भरता के चलते यह हमें 5 रुपये से लेकर आठ रुपये तक कॉस्ट कर रही है।
एक अन्य ट्वीट में उन्होंने पावर परचेस एग्रीमेंट पर टिप्पणी करते हुए कहा कि बादल सरकार ने तीन प्राइवेट प्लांटों के साथ पीपीए साइन किए, लेकिन आज तक इस एग्रीमेंट की गलत मदों के कारण हम 5400 करोड़ रुपये दे चुके हैं और पंजाब के लोगों का 65 हजार करोड़ रुपया फिक्स चार्जेस के रूप में दे देंगे।
सिद्धू ने कहा कि पंजाब नेशनल ग्रिड से सस्ती दर पर बिजली की खरीद कर सकता है, लेकिन बादल सरकार की ओर से हस्ताक्षरित इन पीपीए के कारण ऐसा नहीं हो पा रहा। उन्होंने कहा कि बेशक कानूनी अड़चनों के चलते इन एग्रीमेंट पर पुनर्विचार नहीं हो सकता, लेकिन इसके और भी रास्ते हैँ।
एक अन्य ट्वीट में नवजोत सिंह सिद्धू ने कहा कि पंजाब को प्रति यूनिट खपत का सबसे कम राजस्व मिलता है। ऐसा पावर खरीद और सप्लाई सिस्टम में मिस मैनेटमेंट के कारण है। पावरकॉम 0.18 रुपये प्रति यूनिट सप्लाई करने पर अतिरिक्त खर्च कर रहा है। हालांकि इसके अलावा 9000 करोड़ रुपये की सब्सिडी भी दी जा रही है।
सिद्धू ने ट्वीट में कहा कि गैर पारंपरिक ऊर्जा स्रोत सस्ती बिजली के स्रोत बन रहे हैं और यह पर्यावरण पक्षीय भी हैं, लेकिन पंजाब सोलर और बायोमास की अपनी संभावनाओं का फायदा नहीं उठा पा रहा है हालांकि इसके लिए केंद्रीय वित्तीय योजनाएं भी मिल रही हैं। पेडा केवल जागरूकता पर ही काम कर रहा है।
सिद्धू ने कहा कि पंजाब पहले से ही 9000 करोड़ रुपये की सब्सिडी दे रहा है, जबकि दिल्ली केवल 1699 करोड़ की सब्सिडी दे रही है। यदि पंजाब दिल्ली का मॉडल अपनाए तो सिर्फ 1600 से 2000 कराेड़ रुपए ही देने होंगे। उन्होंने पंजाब के लिए अपना मॉडल लाने की सलाह दी।

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