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Preet Suji

जालंधर। (Palak Kohli, Para Bedminton Player) आंखो में कुछ कर दिखाने की कसक, हौंसला इतना कि सफलता की ऊंचाईयों को भी अपनी और खींच लाना, जज्बा ऐसा कि सिर्फ अपना या परिवार का ही नहीं बल्कि देश का गौरव बनना। जी हां, हम बात कर रहे हैं अंर्ताष्ट्रीय पैरा बैडमिंटन खिलाड़ी जालंधर निवासी पलक कोहली की। पलक कोहली और पारूल परमार की युगल जोड़ी टोक्यो में होने वाली पैरालम्पिक में भारतीय तिरंगे के साथ जाएंगी।
जालंधर की छौरी पलक कोहली ने छोटी सी उम्र में ही अपने हौंसलो के पंखो से इंटरनेशनल स्तर तक उड़ान लेकर साबित कर दिया है कि ‘हमारी छौरियां किसी से कम नहीं है।’ सफलता की बुलंदियां छू रही पलक कोहली प्रेरणा है बच्चों के लिए और सबसे बड़ी बात सबक है उन लोगों के लिए जो टेलैंट को प्रोत्साहित करने की बजाए हतोत्साहित करते हैं।

गौरवान्वित महसूस करते हैं खुद को

जालंधर के स्पोर्टस सर्जीकल कांपलैक्स में स्थित बॉम्बे सर्जीकल के संचालक महेश कोहली और सिम्मी कोहली की बेटी पलक कोहली (18) का बचपन से ही बायां हाथ कोहनी के नीचे नहीं था। बेशक, बायां हाथ नहीं था, लेकिन हौंसला इतना कि ब्यां नहीं किया जा सकता। 18 वर्ष की आयु में ही पलक कोहली टोक्यो में हो रही पैरालम्पिक के लिए सिलेक्ट हो चुकी है। अब दिन रात अपने कोच गौरव खन्ना के निर्देशों पर प्रशिक्षण ले रही है।
जालंधर में पलक कोहली की इस सफलता का जश्न मना रहे महेश कोहली और सिम्मी कोहली से बात की गई। कुछ अनछुए पल याद करते हुए कोहली दंपत्ति ने बताया कि पलक का बचपन से ही खेलों की तरफ रूझान था, लेकिन वे खुद उसे स्पोर्टस की बजाए पढ़ाई की तरफ अपना कैरियर बनाने के लिए प्रेरित कर रहे थे। लेकिन पलक का ध्यान खेलों की तरफ ही रहा।

ये किस्सा बना पलक की लाईफ का टर्निंग प्वाईंट

एक किस्सा याद करते हुए महेश व सिम्मी कोहली ने बताया कि पलक दिल्ली जा रही थी, रास्ते में उसने कुछ बच्चों को ग्राऊंड मे खेलते देखा। बस, यही दृष्य उसके जीवन का टर्निंग प्वाईंट साबित हुआ। पलक ने निश्चय कर लिया कि अगर सभी खेल सकते हैं तो वे क्यो नहीं। उसका हौंसला देखते हुए दादा प्रेम चंद कोहली व उन्होने फैसला किया कि पलक जो चाहती है उसे करना दिया जाए।
कोहली दंपत्ति का कहना है कि स्कूल में भी उसे खेलों की तरफ प्रोत्साहित करने की बजाए हतोत्साहित भी किया जाता रहा। बैडमिंटन से पहले उसने स्कूल में ही वॉलीवाल खेल ज्वाईन की। लेकिन जब किसी मैच के लिए सिलेक्शन हुई तो उसे सिलेक्ट नहीं किया गया। लेकिन पलक अपने दृढ़ निश्चय पर रही।
10वीं तक सेंट जोसेफ स्कूल में शिक्षा हासिल करने वाली पलक ने ही स्कूल में बैडमिंटन टीम बनवाई और फिर लुधियाना में हुए मैचों में जीत दर्ज की। इसके पश्चात पुलिस डी.ए.वी. स्कूल में 11वीं कक्षा में ज्वाईन किया। इस दौरान स्कूल की टीम 11वीं में वाईस स्पोर्टस कैप्टन और 12वीं में स्पोर्टस कैप्टन रही। इस दौरान हंस राज स्टेडियम, रत्ती एकैडमी, जालंधर में भी प्रशिक्षण प्राप्त किया। साल 2019 में रूद्रपुर नैशनल में तीन गोल्ड मैडल, एक कांस्य पदक जीत कर जब वे हंस राज स्टेडियम में लौटी तो आई.पी.एस. हिमांशू जैन द्वारा पलक को सम्मानित किया गया।
इसके पश्चात उन्हें किसी के ज़रिए पैरा बैडमिंटन के बारे में पता चला। इंटरनेट पर सर्च के दौरान उनका संपर्क पैरा बैडमिंटन, भारत के कोच गौरव खन्ना के साथ हुआ। महेश व सिम्मी कोहली ने बताया कि कोच गौरव खन्ना ने पहले उनसे पलक के खेलते की वीडियो मंगवाई और फिर अचानक उन्हें बैंगलुरू बुला लिया गया।

ऐसे बनाई पैरा बैडमिंटन टीम में जगह

बेहद ही गर्व से बात करते हुए महेश व सिम्मी कोहली ने बताया कि पलक ने बिना किसी प्रशिक्षण के बैंगलूरू में लगे कैंप के दौरान अपने से उम्र में बड़ी और प्रशिक्षित खिलाड़ियों के साथ एक के बाद एक हुए 3 मैचों में हरा दिया। इसके पश्चात कोच गौरव खन्ना ने उसे कोचिंग देनी शुरू कर दी। कोहली दंपत्ति ने बताया कि पलक 2018 से लखनऊ में कौच गौरव खन्ना के साथ है और कड़े परिश्रम और हौंसले से अपने लक्ष्य की तरफ बढ़ रही है। कोहली दंपत्ति का कहना है कि उनका एक बेटा धनंजय कोहली है जोकि बीटेक कर रहे हैं।

पलक ने दिए सफलता टिप्स- खुद पर शक नहीं भरौसा करें

हर छोटे बड़े के लिए प्रेरणा बन चुकी पलक कोहली कहती है कि भरोसा खुद पर होना चाहिए। कुछ भी हो जाए, लक्ष्य निर्धारित होना चाहिए और हमेशा पॉजिटिविटी के साथ अपने गोल (लक्ष्य) की तरफ बढ़ते रहना चाहिए। कभी भी खुद पर शक नहीं करना चाहिए। पलक का कहना है कि उसकी सफलता का मूल मंत्र ये ही है। लगभग 2 साल से माता पिता से दूर लखनऊ में रह कर अपने सपने पूरे करने की और तेजी से बढ़ रही पलक कोहली ने कहा कि अब उसका फोकस पैरालम्पिक में भारत का तिंरंगा फहराना है।

भारत ही नहीं दूसरे देशों में भी पलक की धूम

पलक ने अभी तक कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में मेडल जीते हैं। उनका विश्व रैंकिंग में पांचवां स्थान है। थाईलैंड में पैरा बैडमिंटन चैंपियनशिप में क्वार्टर फाइनल तक का सफर तय किया। युगांडा में हुई पैरा बैडमिंटन चैंपियनशिप में डबल प्रतिस्पर्धा में स्वर्ण पदक व एकल प्रतिस्पर्धा में रजत पदक जीता है। 2019 में उसने नेशनल प्रतियोगिता में 3 मेडल और एक कांस्य पदक जीता। जापान में हुई प्रतियोगिता में वुमेन्स डबल्स में कांस्य पदक जीता। इसी प्रकार पेरू में सिल्वर मेडल जीत कर देश का मान बढ़ाया। पलक कोहली के हौंसले और उपलब्धियां का बखान जितना किया जाए काम है। अन्य बच्चों को प्रेरित करने के लिए पलक की तस्वीर रितिन खन्ना द्वारा हंस राज स्टेडियम में लगवाई गई है।
बीते समय में ही पलक कोहली ने तीसरे दुबई पैरा बैडमिंटन 2021 में तीन मैडल जीते। एकल मुकाबले में सिल्वर, युगल और मिश्रत युगल में कांस्य पदक जीत कर परिवार और देश का नाम रौशन किया है।

द्रोणाचार्य पुरस्कार हासिल कर चुके गौरव खन्ना दे रहे हैं प्रशिक्षण

अपनी प्रतिभा के चलते द्रोणाचार्य पुरस्कार हासिल कर चुके गौरव खन्ना के कुशल मार्गदर्शन में भारतीय खिलाडिय़ों ने वर्ष 2014 से अब तक 90 स्वर्ण पदक सहित रिकॉर्ड 300 से ज्यादा पदक जीते हैं। गौरव ने लॉकडाऊन में भी पलक को ट्रेनिंग से वंचित नहीं होने दिया। राष्ट्रीय लॉकडाउन के दौरान उनसे ट्रेनिंग ले रहे 9 खिलाड़ियों में से 8 खिलाड़ी वापस घरों को गए। लेकिन पलक कोहली वहां रही। पलक ने फ्लैट किराए पर लिया और खन्ना ने उन्हें करीब के पार्क में अस्थायी कोर्ट बनाने में मदद की जिसमें रात को ट्रेनिंग के लिये लाइट की सुविधा भी मुहैया करवाई। घर पास में ही होने के कारण गौरव खन्ना हर प्रैक्टिस सेशन में पलक का साथ दिया।

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