Prabhat Times
नई दिल्ली। (Ram Mandir) उत्तर प्रदेश में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले राजनीति गरमाने लगी है. अयोध्या में जारी राम मंदिर का निर्माण कार्य इस बार राजनीतिक गतिविधियों के केंद्र में आ गया है. अयोध्या से आरोपों की आंधी चली है और आरोप लगे हैं श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट पर.
आरोप ये हैं कि ट्रस्ट ने 2 करोड़ की जमीन 18 करोड़ में खरीदी और ये खरीदारी हुई महज 10 मिनट में, इसे यूं समझिए कि जो जमीन 10 मिनट पहले 2 करोड़ की थी, वो 10 मिनट बाद 18 करोड़ की हो गई.

देश की सियासत की धुरी है अयोध्या…

कौन नहीं जानता कि अयोध्या का भारतीय राजनीति से चोली दामन का साथ है, कई दशकों से भारतीय सियासत की धुरी रहा है अयोध्या. इस बार फिर से अयोध्या की गलियों से राजनीति की लहर उठी है, मगर इस बार इस लहर के केंद्र में राम मंदिर नहीं बल्कि राम मंदिर ट्रस्ट है और ट्रस्ट पर भ्रष्टाचार के आरोपों की चादर पड़ी है.
आरोप लगा है जमीन की खरीद में भ्रष्टाचार का और दावा किया जा रहा है कि श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने दो करोड़ की जमीन साढ़े 18 करोड़ में खरीदी और महज चंद मिनटों में भी पूरे घोटाले को अंजाम दिया गया.
सवाल सिर्फ पांच मिनट में जमीन के दाम में करोड़ों के हेरफेर का नहीं है. सवाल ये भी है कि आखिर ट्रस्ट ने किन वजहों ये जमीन इतने महंगे दामों में खरीदी और इसकी मंजूरी कब और कैसे मिली.

चंद मिनटों में ही 2 से 18 करोड़ हुई कीमत

संजय सिंह ने कुछ दस्तावेज पेश करते हुए कहा, “कोई कल्पना भी नहीं कर सकता कि मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम के नाम पर कोई घोटाला और भ्रष्टाचार करने की हिम्मत करेगा. राम जन्मभूमि ट्रस्ट के नाम पर चंपत राय जी ने करोड़ों रुपए चंपत कर दिए.” उन्होंने दावा किया कि अयोध्या सदर तहसील के बाग बिजैसी गांव में पांच करोड़ 80 लाख रुपये की मालियत वाली गाटा संख्या 243, 244 और 246 की जमीन सुल्तान अंसारी और रवि मोहन तिवारी नामक व्यक्तियों ने कुसुम पाठक और हरीश पाठक से 18 मार्च को दो करोड़ रुपए में खरीदी थी.
आप सांसद ने कहा कि शाम सात बजकर 10 मिनट पर हुई इस जमीन खरीद में राम जन्मभूमि ट्रस्ट के सदस्य अनिल मिश्रा और अयोध्या के मेयर ऋषिकेश उपाध्याय गवाह बने थें. साथ ही आरोप लगाया कि उसके ठीक पांच मिनट के बाद इसी जमीन को चंपत राय ने सुल्तान अंसारी और रवि मोहन तिवारी से साढ़े 18 करोड़ रुपए में खरीदा, जिसमें से 17 करोड़ रुपए आरटीजीएस के जरिए पेशगी के तौर पर दिए गए.

“प्रति सेकंड साढ़े पांच लाख रुपये जमीन का दाम बढ़ा”

उन्होंने आरोप लगाया, “दो करोड़ रुपए में खरीदी गई जमीन का दाम लगभग प्रति सेकंड साढ़े पांच लाख रुपए बढ़ गया. हिंदुस्तान तो क्या, दुनिया में कहीं किसी जमीन का दाम इतनी तेजी से नहीं बढ़ता. मजे की बात यह है कि जो राम मंदिर ट्रस्ट के सदस्य अनिल मिश्रा और अयोध्या के मेयर ऋषिकेश उपाध्याय बैनामा कराने में गवाह थे, वो ही इस जमीन को ट्रस्ट के नाम पर खरीदने में भी गवाह बन गए. यह साफ तौर पर धन शोधन और भारी भ्रष्टाचार का मामला है. मैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी सरकार से मांग करता हूं कि तत्काल ईडी और सीबीआई के जरिए इस मामले की गहन जांच कराकर इसमें शामिल भ्रष्टाचारी लोगों को जेल में डाला जाए क्योंकि यह इस मुल्क के करोड़ों राम भक्तों की आस्था के साथ-साथ उन करोड़ों लोगों के भरोसे का भी सवाल है जिन्होंने अपनी गाढ़ी कमाई का पैसा राम मंदिर निर्माण के लिए दिया है.”
उन्होंने आगे कहा, ‘इस मामले में एग्रीमेंट के स्टांप का समय और बैनामे के स्टांप का समय भी सवाल खड़ा करता है. जो जमीन बाद में ट्रस्ट को बेची गई उसका स्टांप शाम को पांच बजकर 11 मिनट पर खरीदा गया और जो जमीन पहले रवि मोहन तिवारी और अंसारी ने खरीदी उसका स्टांप पांच बजकर 22 मिनट पर खरीदा गया.’

ट्रस्ट की ओर से आरोपों को गलत बताया गया…

जमीन खरीद को लेकर लगाए गए आरोपों पर ट्रस्ट की ओर से सफाई भी दी गई. राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के महासचिव और विश्व हिंदू परिषद (वीएचपी) के नेता चंपत राय ने आधिकारिक पत्र जारी कर इन आरोपों का खंडन किया है.
उन्होंने कहा है कि वास्तु के अनुसार सुधार के लिए मंदिर परिसर के पूर्व और पश्चिम दिशा में यात्रा को सुलभ बनाने और मंदिर परिसर की सुरक्षा के लिए कुछ छोटे-बड़े मंदिर और गृहस्थों के मकान खरीदने जरूरी हैं. जिनसे मकान खरीदा जाएगा, उन्हें पुनर्वास के लिए जमीनें दी जाएंगी. इस काम के लिए भूमि की खरीदारी की जा रही है.
चंपत राय ने अपने पत्र में कहा कि श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ने अभी तक जितनी जमीनें खरीदी हैं, वह खुले बाजार की कीमत से बहुत कम हैं. लोग राजनीतिक विद्वेष से प्रेरित होकर भ्रम फैला रहे हैं.
गौरतलब है कि अगले साल प्रदेश में चुनाव हैं और अक्सर अयोध्या चुनावों में बड़ा मसला बना है. ऐसे में इस वक्त विपक्ष की ओर से इस तरह का आरोप लगाना बड़ा मोड़ साबित हो सकता है. राम मंदिर का निर्माण पिछले साल अगस्त में शुरू हुआ था, तब से अबतक लगातार काम जारी है और अभी नींव की भरपाई की जा रही है. 

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