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नई दिल्ली। (rbi hike repo rate by 40 basis point after two years loan becomes costly) रिजर्व बैंक (RBI) ने लंबे अंतराल के बाद बुधवार को अचानक रेपो रेट बढ़ाने (Repo Rate Hike) का ऐलान कर दिया.
अब रेपो रेट एक झटके में 0.40 फीसदी बढ़कर 4.40 फीसदी हो गया है. इसके साथ ही सस्ते लोन का दौर अब समाप्त हो गया है. रिजर्व बैंक के इस ऐलान से लोगों के ऊपर ईएमआई (EMI) का बोझ बढ़ना तय हो गया है.

अचानक हुई RBI एमपीसी की बैठक

रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास (RBI Governor Shaktikant Das) ने बुधवार को अचानक प्रेस कांफ्रेस किया. गवर्नर दास ने कांफ्रेंस में बताया कि रेपो रेट को 0.40 फीसदी बढ़ाने का निर्णय लिया गया है.
उन्होंने बताया कि सेंट्रल बैंक की मौद्रिक नीति समिति ने इकोनॉमी के हालात पर चर्चा करने के लिए बैठक की.
इस बैठक में एमपीसी के सदस्यों ने एकमत से रेपो रेट को 0.40 फीसदी बढ़ाने का फैसला लिया. एमपीसी ने यह फैसला बेकाबू होती महंगाई के कारण लिया.

बढ़ जाएगी लोन की ईएमआई

आरबीआई की तरफ से रेपो रेट में बदलाव करने से बैंकों की तरफ से लोन पर ब्‍याज दर बढ़ाने का रास्‍ता साफ हो गया है.
रेपो रेट बढ़ने से आने वाले दिनों में आपके होम लोन, कार लोन की ईएमआई में बढ़ जाएगी.
इससे पहले चालू वित्त वर्ष की पहली मौद्रिक समीक्षा बैठक (MPC) में आरबीाआई की तरफ से रेपो रेट में लगातार 11वीं बार बदलाव नहीं किया गया था.

शेयर बाजार में भी ब‍िकवाली का दौर

RBI गवर्नर ने अपने संबोधन में कहा, ग्लोबल इकोनॉमी की स्थिति बिगड़ती जा रही है. अर्थव्‍यवस्‍था पर महंगाई का दबाव बरकरार है. लगातार बढ़ती महंगाई चिंताजनक है.
युद्ध की वजह से महंगाई और ग्रोथ का अनुमान बदला है. आबीआई की तरफ से रेपो रेट बढ़ाने के बाद शेयर बाजार में भी ब‍िकवाली बढ़ गई है.

क्‍या होगा असर?

आरबीआई की तरफ रेपो रेट बढ़ाने का असर बैंकों के करोड़ों ग्राहकों पर पड़ेगा. केंद्रीय बैंक की तरफ से रेपो रेट बढ़ाने से बैंक ग्राहकों को द‍िया जाना वाला कर्ज महंगा कर देंगे.
ब्‍याज दर बढ़ने का असर ईएमआई पर होगा. ग्राहकों की पहले के मुकाबले ईएमआई बढ़ जाएगी.

क्‍या होता है रेपो रेट?

जिस रेट पर आरबीआई की तरफ से बैंकों को लोन द‍िया जाता है, उसे रेपो रेट कहा जाता है.
रेपो रेट बढ़ने का मतलब है क‍ि बैंकों को आरबीआई से महंगे रेट पर कर्ज मिलेगा.
इससे होम लोन, कार लोन और पर्सनल लोन आद‍ि की ब्‍याज दर बढ़ जाएगी, ज‍िससे आपकी ईएमआई पर सीधा असर पड़ेगा.

इन फैक्टर्स से बेकाबू हुई महंगाई

आरबीआई गवर्नर ने एमपीसी की बैठक के बाद मीडिया को संबोधित करते हुए कहा कि मार्च 2022 में खुदरा महंगाई तेजी से बढ़ी और 7 फीसदी पर पहुंच गई.
खासकर खाने-पीने की चीजों की महंगाई के कारण हेडलाइन सीपीआई इंफ्लेशन यानी खुदरा महंगाई तेजी से बढ़ी है. इसके अलावा जिओपॉलिटिकल टेंशन ने भी महंगाई को बढ़ाया है.
आपको बता दें कि रूस और यूक्रेन के बीच महीनों से जारी जंग के कारण गेहूं समेत कई अनाजों के दाम बढ़ गए हैं. इस तनाव से ग्लोबल सप्लाई चेन पर भी बुरा असर पड़ा है. गवर्नर दास इसी जिओपॉलिटिकल टेंशन की बात कर रहे थे.

पिछले महीने ही हुई थी एमपीसी की बैठक

गौरतलब है कि इससे पहले 8 अप्रैल को वित्त वर्ष 2022-23 (FY23) के लिए रिजर्व बैंक (RBI) की पहली मॉनीटरी पॉलिसी (MPC) रीव्यू मीटिंग हुई थी.
उस समय रिजर्व बैंक ने रिकॉर्ड लगातार 11वीं बैठक में रेपो रेट (Repo Rate) और रिवर्स रेपो रेट (Reverse Repo Rate) को पुराने स्तर पर बरकरार रखा था. लेकिन बदलने का संकेत भी दे दिया था.
उस समय आबीआई के गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा था कि महंगाई (Inflation) को कोई बड़ा रिस्क नहीं है, केंद्रीय बैंक का इकोनॉमिक ग्रोथ (Economic Growth) पर फोकस है.

नहीं मिलेगी महंगाई से राहत, RBI को ये डर

चालू वित्त वर्ष में महंगाई का प्रेशर बने रहने की आशंका है. RBI के मुताबिक वित्त वर्ष 2022-23 में महंगाई दर 5.7 फीसदी पर रहने का अनुमान है.
शक्तिकांत दास ने इस महीने बताया कि महंगाई की दर पहली तिमाही में 6.3%, दूसरी तिमाही में 5%, तीसरी तिमाही में 5.4% और चौथी तिमाही में 5.1% रह सकती है.

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