Prabhat Times
नई दिल्ली। रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) मौद्रिक नीति समिति (MPC) बैठक में आज रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं किया। रेपो रेट 4 फीसदी पर बरकरार है। वहीं, रिवर्स रेपो रेट को भी 3.35% पर ही रखा गया है। साथ ही MSF और बैंक रेट में भी कोई बदलाव नहीं किया गया है और यह पहले की तरह ही 4.25% है।
आरबीआई गवर्नर ने कहा कि सब्जियों के दाम निकट भविष्य में नरम रहने की उम्मीद है।, 2020-21 की चौथी तिमाही में मुद्रास्फीति संशोधित किया गया है और इसके 5.2 प्रतिशत रहने का अनुमान है। आर.बी.आई. द्वारा ब्याज दरों में कोई बदलाव न होने पर जानकार इसे आम आदमी के लिए राहत मान रहे हैं। कर्जधारकों पर अब कोई अतिरिक्त बोझ नहीं पड़ेगा।
आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि अर्थव्यवस्था में पहली तिमाही में आई गिरावट पीछे छूट चुकी है, स्थिति में सुधार के संकेत दिखने लगे हैं। आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा, ‘आर्थिक वृद्धि को लेकर परिदृश्य सकारात्मक हुआ है। यह पुनरूद्धार के संकेत मजबूत हुए हैं।
मुद्रास्फीति चार प्रतिशत के संतोषजनक दायरे में आ गई है और अगले वित्त वर्ष में जीडीपी वृद्धि दर 10.5 प्रतिशत रहने का अनुमान है।” उन्होंने कहा कि समय की मांग अभी ग्रोथ को सपोर्ट करने की है।
उन्होंने कहा कि मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में कैपिसिटी यूटिलाइजेशन सुधरा है और यह इस वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में 63.3% रहा जो Q1 में केवल 47.3% था। उन्होंने कहा कि अर्थव्यवस्था में रिकवरी और तेज हुई है।
शक्तिकांत दास ने कहा, ‘’सब्जियों के दाम निकट भविष्य में नरम रहने की उम्मीद है. 2020-21 की चौथी तिमाही में मुद्रास्फीति संशोधित किया गया है, इसके 5.2 फीसदी रहने का अनुमान है. मौद्रिक नीति के अनुरूप नकदी प्रबंधन को लेकर रुख उदार बना हुआ है.’’ उन्होंने कहा, ‘’सरकार आरबीआई के लिये मुद्रास्फीति के लक्ष्य की समीक्षा मार्च 2021 तक करेगी. मुद्रास्फीति के लक्ष्य की व्यवस्था ने अच्छा काम किया है.’’
आरबीआई गवर्नर ने कहा, ‘’रिजर्व बैंक सुनिश्चित करेगा कि सरकार का बाजार से उधार जुटाने का कार्यक्रम बिना व्यवधान के आगे बढ़े. साथ ही रिजर्व बैंक ने धीरे-धीरे 27 मार्च 2021 तक बैंकों के नकद आरक्षित अनुपात को 3.5 प्रतिशत पर वापस लाने का निर्णय लिया है.’’ दास ने बताया कि नकद आरक्षित अनुपात को क्रमिक तौर पर 27 मई 2021 तक वापस चार फीसदी पर लाया जाएगा. वहीं साल 2021-22 के लिए 10.5 प्रतिशक की दर से अर्थव्यव्सथा के विकास का अनुमान लगाया है.

रेपो रेट में नहीं हुआ कोई बदलाव

आरबीआई ने आज रेपो रेट या रिवर्स रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं किया है। इससे पहले पिछली 3 बार के बैठकों में प्रमुख नीतिगत दरों में कोई बदलाव नहीं किया गया था। उससे पहले केंद्रीय बैंक दो बैठकों में नीतिगत दर में 1.15 प्रतिशत की कटौती कर चुका है। फिलहाल रेपो दर 4 प्रतिशत, रिवर्स रेपो दर 3.35 प्रतिशत और सीमांत स्थायी सुविधा (एमसीएफ) दर 4.25 प्रतिशत पर बरकरार है।

रेपो रेट (Repurchase Rate or Repo Rate)

इसे आसान भाषा में ऐसे समझा जा सकता है। बैंक हमें कर्ज देते हैं और उस कर्ज पर हमें ब्याज देना पड़ता है। ठीक वैसे ही बैंकों को भी अपने रोजमर्रा के कामकाज के लिए भारी-भरकम रकम की जरूरत पड़ जाती है और वे भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) से कर्ज लेते हैं। इस ऋण पर रिजर्व बैंक जिस दर से उनसे ब्याज वसूल करता है, उसे रेपो रेट कहते हैं।

रेपो रेट से आम आदमी पर क्या पड़ता है प्रभाव

जब बैंकों को कम ब्याज दर पर ऋण उपलब्ध होगा यानी रेपो रेट कम होगा तो वो भी अपने ग्राहकों को सस्ता कर्ज दे सकते हैं। और यदि रिजर्व बैंक रेपो रेट बढ़ाएगा तो बैंकों के लिए कर्ज लेना महंगा हो जाएगा और वे अपने ग्राहकों के लिए कर्ज महंगा कर देंगे।

रिवर्स रेपो रेट (Reverse Repo Rate)

यह रेपो रेट से उलट होता है। बैंकों के पास जब दिन-भर के कामकाज के बाद बड़ी रकम बची रह जाती है, तो उस रकम को रिजर्व बैंक में रख देते हैं। इस रकम पर आरबीआई उन्हें ब्याज देता है। रिजर्व बैंक इस रकम पर जिस दर से ब्याज देता है, उसे रिवर्स रेपो रेट कहते हैं।

आम आदमी पर क्या पड़ता है प्रभाव

जब भी बाज़ारों में बहुत ज्यादा नकदी दिखाई देती है, आरबीआई रिवर्स रेपो रेट बढ़ा देता है, ताकि बैंक ज्यादा ब्याज कमाने के लिए अपनी रकम उसके पास जमा करा दें। इस तरह बैंकों के कब्जे में बाजार में छोड़ने के लिए कम रकम रह जाएगी।

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