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नई दिल्ली। रिलायंस जियो अब मोबाइल मैन्युफैक्चरिंग में एंट्री करने वाली है। मुकेश अंबानी के नेतृत्व वाली जियो यूनाइडेट टेलिलिंक्स का अधिग्रहण कर सकती है या फिर एक कॉन्ट्रैक्ट-मैन्युफैक्चरिंग डील को अंजाम दे सकती है।
ये जानकारी सूत्रों ने यह जानकारी दी है। रिलायंस इंडस्ट्रीज ने अभी इस बारे में कोई जवाब नहीं दिया है। लेकिन चर्चा जोरों पर है कि रिलायंस जियो उपभोक्ताओं को बड़ा फायदा देगी। रिलायंस द्वारा बेहद ही कम दामों पर उपभोक्ताओ के लिए स्मार्ट फोन बाजार में पेश करेगी।
रिलायंस इंडस्ट्रीज की टेलिकॉम और टेक्नॉलजी आर्म जियो प्लैटफॉर्म्स को दुनिया की टॉप ग्लोबल प्राइवेट इक्विटी और इंटरनेट दिग्गजों से पैसा मिला है।
इनमें फेसबुक और गूगल भी शामिल है। सूत्रों ने बताया कि टेलिकॉम स्पेस में जियो ने लीडरशिप हासिल कर ली है।
अब रिलायंस जियो की होल्डिंग कंपनी रिलायंस जियो अपने मौजूदा और नए सब्सक्राइबर्स के लिए एक बंडल ईको-सिस्टम ऑफर करना चाहती है ताकि ग्राहकों को किफायती 4जी स्मार्टफोन्स पर माइग्रेट करने में मदद हो सके।
बता दें कि मुकेश अंबानी ने कहा था कि देश में 2G को ‘इतिहास’ बनाने का समय है।
इस बयान से साफ जाहिर होता है कि लाखों सब्सक्राइबर्स (खासतौर पर एयरटेल और वोडाफोन आइडिया) के पास स्मार्टफोन ईको-सिस्टम पर अपग्रेड करना होगा।
कुछ महीनों पहले रिलायंस की 43वीं AGM में अंबानी ने डिजिटल और टेलिकॉम स्पेस में नए एक्सपेंशन लाने की बात कही थी।
उन्होंने हैंडसेट मार्केट के प्लान्स के बारे में जानकारी दी थी। उन्होंने कहा था कि जियो का लक्ष्य 2023 तक 500 मिलियन मोबाइल ग्राहक बनाना है।
उन्होंने वादा किया था कि कंपनी अपने नए सहयोगी गूगल के साथ मिलकर बेहद किफायती 4जी और 5जी डिवाइस लाएगी जो ऐंड्रॉयड ऑपरेटिंग सिस्टम पर चलेंगे।
गूगल की साझेदारी में नए डिवाइस बनाने के बारे में अंबानी ने कहा था, ‘…बहुत सारे फीचर फोन यूजर्स हैं जो एक कन्वेंशनल स्मार्टफोन पर अपग्रेड करने का इंतजार कर रहे हैं…लेकिन यह बेहद किफायती हो तभी।
इसलिए हमने इस चैलेंज को स्वीकार करने का फैसला किया है। हमारा मानना है कि हम एंट्री-लेवल 4G या 5G स्मार्टफोन्स भी बना सकते हैं।’
रिलायंस जियो पहले भी बंडल डिवाइसेज की बिक्री कर चुकी है, लेकिन उस समय कंपनी ने इन्हें अलग-अलग मैन्युफैक्चरर से आउटसोर्स किया था।
भारत सरकार की PLI बेनिफिट स्कीम भी लगभग फाइनलाइज़ हो चुकी है। इस स्कीम से देश में स्मार्टफोन मैन्युफैक्चरिंग में तेजी आएगी।
कुल 7 घरेलू और 5 इंटरनैशनल कंपनियां इस प्रोग्राम के तहत फायदे पाने के लिए कतार में हैं।
घरेलू कंपनियों में लावा ग्रुप की दो (लावा और सोजो), डिक्सॉन टेक्नॉलजीज (डिक्सॉन और पैजेट इलेक्ट्रॉनिक्स) के अलावा भगवती (माइक्रोमैक्स), ऑप्टिमस इन्फ्रा और यूनाइटेड टेलिलिंक्स शामिल हैं।
इंटरनैशनल कंपनियों की बात करें तो अमेरिकन इलेक्ट्रॉनिक्स दिग्गज ऐपल के अलावा कोरियाई सैमसंग इस लिस्ट में है।
स्मार्टफोन मार्केट में मोबाइल और डेटा प्लान्स के साथ रिलायंस की एंट्री से चीनी और लोकल हैंडसेट कंपनियों पर दबाव पड़ेगा खासतौर पर एंट्री-लेवल सेगमेंट में।
हाल ही में एक रिपोर्ट में पता चला था कि कंपनी 4000 से कम में एंट्री-लेवल ऐंड्रॉयड स्मार्टफोन ला सकती है।