Prabhat Times
नई दिल्ली। (School Fees) निजी स्कूलों की स्कूल फीस के मामले में शुक्रवार को पंजाब व हरियाणा हाई कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट द्वारा राजस्थान के मामले में आठ फरवरी को जो आदेश दिए थे, उन्हीं आदेशों को पंजाब और हरियाणा के स्कूलों में भी लागू किए जाने के आदेश दे दिए हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने आठ फरवरी को राजस्थान के मामले में जो अंतरिम आदेश दिए हैं, उन्हीं आदेशों को अब पंजाब और हरियाणा के निजी स्कूलों पर भी लागू किया जाएगा। इन आदेशों के अनुसार छात्र के चाहे आनलाइन या फिजिकल क्लास ली हो या नहीं या उसकी फीस पेंडिग हो तो भी स्कूल उस छात्र का नाम नहीं काट सकते हैं। ऑनलाईन या ऑफलाइन क्लासों से वंचित नहीं किया जाएगा। 10वीं, 12वीं के छात्रो का रोलनंबर भी नहीं रोका जाएगा।
उस छात्र को परीक्षा में बैठने से नहीं रोक सकते हैं। निजी स्कूलों ने 2019-20  के सत्र में जो फीस तय की थी, वही फीस स्कूल सत्र 2020-21 में ले सकते हैं, उसमें बढ़ोतरी नहीं की जा सकती है। अभिभावक लंबित फीस छह महीनों में पांच मार्च से पांच अगस्त तक किश्तों के जरिए फीस भर सकते हैं।
अगर किसी छात्र के अभिभावकों को फीस भरने में परेशानी है तो वह स्कूल को इस बारे में जानकारी दे सकते हैं, इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने स्कूलों को आदेश दिए हैं कि अगर उनके पास ऐसी को अर्जी आती है तो वह सहानुभूति के अनुसार उस अर्जी पर निर्णय लें।
हाईकोर्ट ने मामले पर 26 मई के लिए अगली सुनवाई तय की है। पंजाब के निजी स्कूलों ने हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दे रखी है। स्कूलों की तरफ से 1 अक्टूबर के फैसले को वापस लिए जाने की मांग की गई थी, जिसमें कहा गया था कि नियमित ऑनलाइन क्लास लेने वाले स्कूल सिर्फ ट्यूशन फीस ही पाने के हकदार हैं।
खंडपीठ ने एकल जज के फैसले में बदलाव करते हुए कहा था कि स्कूल ट्यूशन फीस के अलावा दूसरे चार्जेज नहीं वसूल सकते। प्राइवेट स्कूलों की तरफ से इस फैसले को वापस लिए जाने की मांग की गई थी, जिसे हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया था।

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