नई दिल्ली (ब्यूरो): कोरोना वायरस के बढ़ते मामलों के बीच भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद/आईसीएमआर (ICMR) ने रैपिड टेस्टिंग किट को लेकर राज्यों के लिए एक परामर्श जारी किया है।

ICMR ने मंगलवार शाम को दैनिक प्रेस वार्ता में कहा कि सभी राज्यों में रैपिड टेस्ट किट बांटी गई. कुछ राज्‍यों से किट संबंधी कुछ शिकायत मिल रही थी।

जिसके बाद ICMR ने टेस्टिंग पर रोक लगा दी है। ICMR ने राज्‍यों को दो दिन तक रैपिड टेस्‍ट किए इस्‍तेमाल नहीं करने के निर्देश दिए हैं।

इसके साथ ही ये भी कहा है कि दो दिन के बाद दिशा निर्देश जारी किये जाएंगे। ICMR ने कहा कि अभी तक 4 लाख, 49 हजार 810 टेस्ट हुए हैं। सोमवार को 35 हजार से ज्यादा टेस्ट किए गए थे।

राजस्थान ने त्वरित जांच किट से परीक्षण रोके

जांच परिणाम सही नहीं पाये जाने के कारण राजस्थान सरकार ने कोरोना वायरस संक्रमण की जांच के लिए त्वरित जांच किट का इस्तेमाल मंगलवार को रोक दिया।

स्वास्थ्य मंत्री डॉ. रघु शर्मा ने कहा कि इन किट से परीक्षणों के परिणाम के बारे में एक रपट ICMR को भेजी गयी है. मंत्री के अनुसार इस किट से केवल पांच प्रतिशत सही या वैध परिणाम मिले हैं।

डॉ. रघु शर्मा ने कहा, ‘पहले ही संक्रमित पाए गए 168 मामलों में इस किट से परीक्षण किया गया लेकिन इसका परिणाम केवल 5.4 प्रतिशत ही सही आ रहा है और जब परिणाम सही नहीं हैं तो इससे परीक्षण करने का क्या फायदा है।’

शर्मा ने कहा कि जब पहले से ही संक्रमित पाए गए मामलों में ही किट का प्रयोग असफल हो गया तो इससे प्रयोग का कोई फायदा नहीं।

उन्होंने कहा, ‘वैसे भी ये परीक्षण अंतिम नहीं थे क्योंकि बाद में पीसीआर टेस्ट करना होता था। हमारे चिकित्सकों के दल ने सलाह दी है कि इससे जांच का कोई फायदा नहीं है।’

राज्य सरकार ने इन परिणामों को ICMR को भेजकर पूछा है कि त्वरित जांच किट से आगे परीक्षण जारी रखा जाए या नहीं। राजस्थान पहला राज्य है जिसने शुक्रवार से त्वरित जांच किट का इस्तेमाल शुरू किया था।

रैपिड टेस्टिंग किट में खामी: पश्चिम बंगाल

इससे पहले सोमवार को पश्चिम बंगाल सरकार ने आरोप लगाया कि भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद ICMR की नोडल एजेंसी एनआईसीईडी ने राज्य में कोविड-19 संबंधी जांच के लिए जिन किट की आपूर्ति की है, वे ‘जाहिर तौर पर खराब’ हैं।

सरकार ने यह आरोप लगाते हुए कहा कि ये किट ‘अनिर्णायक परिणाम’ दर्शाती हैं जिसके कारण पुष्टि के लिए बार-बार जांच करनी पड़ती है और बीमारी का पता लगाने में देरी होती है।

आईसीएमआर-एनआईसीईडी के प्राधिकारियों ने इस पर कहा था कि इसका कारण संभवत: यह हो सकता है कि इन किट का ‘मानकीकरण नहीं किया गया है’ और वह मामले को ‘बहुत गंभीरता से ले रहा’ है।