जालंधर (ब्यूरो): सिर्फ राजस्व प्राप्त करने के लिए पंजाब सरकार द्वारा शराब ठेके खोलने की अनुमति तो दे दी गई है, लेकिन शराब ठेकेदार ठेके खोलने को तैयार नहीं है। लॉकडाउन, कर्फ्यु के दौरान शराब ठेकेदारों के हुए नुकसान में कोई बरपाई न होता देख शराब ठेकेदारों ने मन बना लिया है कि वीरवार को राज्य के अधिकांश शहरों में शराब ठेके नहीं खुलेंगे।

बता दें कि कोरोना वायरस के कारण हुए लॉकडाउन कर्फ्यु के दुनिया की रफ्तार रुक गई। सारे कारोबार बंद होने के कारण सरकारों को आने वाले रैविन्यू भी बंद हो गया। करीब सवा महीने से लॉकडाउन के कारण अब पंजाब सरकार की आर्थिक हालत भी पूरी तरह से खस्ता हो गई है। पंजाब सरकार ने बीते दिन राज्य में शराब ठेके खोलने के निर्देश जारी कर दिए। साथ ही कहा गया कि शराब ठेके निर्धारित समय में खुलेंगे और ठेकेदार अपने कर्मचारियों के माध्यम से होम डिलवरी भी कर सकते हैं। इसके लिए नोटिफिकेशन भी जारी कर दी गई। लेकिन दिन भर एक्साईज़ विभाग के अधिकारियों से तथा आपसी बातचीत के पश्चात शराब ठेकेदारों ने फैसला किया है कि सुबह शराब ठेके नहीं खुलेंगे।

ये है तर्क

शराब ठेके न खोलने के पीछे शराब ठेकेदार ये तर्क देते हैं कि पंजाब सरकार सिर्फ राजस्व प्राप्त करना चाहती है, लेकिन उनके हितों को ध्यान में नहीं रखा जा रहा। शराब ठेकेदारों ने बताया कि राज्य में पहली बार बिना नीलामी के सरकार ने 12 प्रतिशत रैविन्यू बढ़ा कर शराब ठेके दिए थे। इस लिहाज़ से हर एक ग्रुप का एक महीने का करीब 90 लाख रूपए सरकार को रैविन्यू बनता है। सूत्रों ने बताया कि पहले माह ठेकेदारों द्वारा पहली किश्त जमा करवाई जा चुकी है।

अनुमान है कि राज्य में 800 से ज्यादा शराब ठेकेदारों के ग्रुप काम कर रहे हैं, जिनके द्वारा करीब 1 हज़ार करोड़ रूपए सरकार को सिक्योिरिटी के रूप मे रेविन्यू जा चुका है। लेकिन लॉकडाउन के कारण न तो शराब बिकी और न ही रिकवरी हुई। जिस कारण शराब ठेकेदार करोड़ों रूपए के नुकसान में हैं।

नाम न छापने की शर्त पर शराब ठेकेदारों ने कहा कि शराब ठेके चलाने के लिए ही करोड़ों रूपए एडवांस मनी जमा करवाई थी। लेकिन लॉकडाउन के कारण सारा कारोबार ठप्प हो गया। एक तो पहले से ही शराब ठेकेदार करोड़ों रूपए का लॉस झेल रहे हैं और उपर से सरकार उन पर शराब ठेके खोलने का दबाव बना रही है। लेकिन पिछले करीब डेढ महीने में जो लॉस हुआ है, उसकी बरपाई के बारे में बात तक नहीं की जा रही।

शराब ठेकेदारों का कहना है कि सिर्फ जालंधर की ही बात करें तो यहां पर करीब 45 ग्रुप है। 2 लाख रूपए प्रतिदिन की लाईसेंस फीस को जमा करके सरकारको 90 लाख रूपए रेविन्यू मिलता है। इसी प्रकार राज्य में करीब 800 से ज्यादा ग्रुप हैं।

ठेकेदारों का कहना है कि सरकार रेविन्यू का सोच रही है, उनके हितों का नहीं। ऐसी स्थिति में सभी की एकमत राय है कि वे सभी काम नहीं कर सकते। अगर सरकार उनके द्वारा पहले जमा करवाई गई करोड़ों रूपए की राशि फोरफीट करती है तो कर लें, लेकिन ऐसे हालातों में काम करना बेहद मुश्किल है। ठेकेदारो का कहना है कि अगर सरकार उन्हे रिलेक्सेशन देती है तो वे लोग काम करने को तैयार हैं।

हिमाचल प्रदेश, हरियाणा सरकार दे सकती है राहत तो पंजाब क्यों नहीं?

पता चला है कि हिमाचल प्रदेश सरकार द्वारा शराब ठेकेदारों को राहत दी है कि वे अब शराब ठेके खोल कर काम करें और लाईसेंस फीस 1 जून से जमा करवाएं। इसी प्रकार हरियाणा सरकार ने भी ठेकेदारो को 10 दिन की लाईसेंस फीस माफ कर के राहत दी है। पंजाब के ठेकेदारों का कहना है कि अगर अन्य राज्य सरकारें राहत दे सकती हैं तो पंजाब सरकार क्यो नहीं?