Prabhat Times
मुंबई: कारों में पहले दिए जाए वाले म्यूजिक सिस्टम की जगह अब टचस्क्रीन इंफोटेनमेंट ने ले लिया है। टचस्क्रीन वाले म्यूजिक सिस्टम के चलते कार के इंटीरियर को नया डिजाइन देने में भी मदद मिली। क्योंकि पहले कारों में दिए जाने वाले कई स्विच का काम अब सिर्फ टचस्क्रीन से हो जाता है। इससे इंटीरियर से कई बटन और स्विच तो हटे ही साथ में नए डिजाइन के लिए जगह भी निकल आई। लेकिन ये टचस्क्रीन लोगों को मुसीबत में भी डाल सकते हैं। एक अध्ययन से पता चला है कि कार चलाते समय टचस्क्रीन का उपयोग करने वाले लोगों में विचलित होने की प्रवृत्ति होती है। यह शोध ब्रिटिश सरकार की एक पूर्व एजेंसी ने किया है। यह एजेंसी अब एक स्वतंत्र परीक्षण सुविधा के रूप में चलती है।
टचस्क्रीन कितनी बुरी तरह से ड्राइवर का ध्यान हटा सकता है, इसके परीक्षण के लिए एजेंसी ने कई प्रयोग किए। इस प्रयोग के लिए 20 लोगों का चयन किया गया था। इन 20 लोगों में से 10 एंड्रॉएड ऑटो का उपयोग कर रहे थे और 10 अन्य एपल कारप्ले का इस्तेमाल कर रहे थे।
ड्राइवरों को 15 मिनट के लिए एक सिम्युलेटर में ड्राइव करने के लिए कहा गया और इस दौरान नेविगेशन, संगीत बजाने के लिए गाना चुनना, रेडियो स्टेशनों का चयन करना और इसी तरह के कई काम के लिए टचस्क्रीन का उपयोग करने के लिए कहा गया।
प्रयोग के दूसरे चरण में इन ड्राइवरों को वॉयस कमांड फीचर का उपयोग करने के लिए कहा गया जो नई कारों में यह सभी काम करने के लिए आम होता जा रहा है। तीसरे चरण में, ड्राइवरों को कुछ भी नहीं करने और बस सिम्युलेटर में ड्राइव करने के लिए कहा गया।
सिम्युलेटर में ड्राइविंग करते समय, रिसर्च टीम ने स्क्रीन पर एक लाल रौशनी डाली जो हाई बीम की नकल है, सामने जा रही कार या विपरीत दिशा से आने वाली कार की पास लाइट या टेल लाइट जैसी चीजों का माहौल पैदा किया गया। जितनी बार, स्क्रीन पर लाल बत्ती चमकती थी, ड्राइवरों को सिम्युलेटर पर हेडलाइट्स को फ्लैश करके जवाब देना था।
टचस्क्रीन का उपयोग करने वाले ड्राइवरों को वॉयस कमांड का उपयोग करने की तुलना में जवाब देने में ज्यादा समय लगा। यह अंतर भले ही कुछ सेकंड का था लेकिन हाईवे पर सफर के दौरान यह काफी खतरनाक साबित हो सकता है।
इस परीक्षण के मुताबिक, वॉयस कमांड फीचर टचस्क्रीन का इस्तेमाल करने की तुलना में ज्यादा सुरक्षित था। ज्यादा से ज्यादा कारें टचस्क्रीन से लैस हैं, जिसकी वजह से नॉब या बटन के इस्तेमाल की तुलना में टचस्क्रीन के जरिए फैन स्पीड की रफ्तार को एडजस्ट करने में लगने वाला समय बढ़कर दोगुना हो गया है और रेडियो स्टेशन को सेलेक्ट करने में 8 गुना ज्यादा समय लगता है।
इस स्थिति को बहुत खतरनाक बताया गया क्योंकि ड्राइवर का ध्यान बंट जाने पर दुर्घटना होने की संभावना काफी ज्यादा होती है। ये सभी फीचर्स कार को अंदर से अधिक प्रीमियम और फ्यूचरिस्टिक तो बनाते हैं लेकिन इनके नुकसान भी कम नहीं हैं।
पूरी तरह से बिना नॉब वाले इंटरफेस के बजाय, कार निर्माताओं को दोनों बटन और टच इनपुट के मिश्रण के साथ स्क्रीन विकसित करने पर विचार करना चाहिए जिससे ड्राइवर स्क्रीन पर देखने की तुलना में ड्राइविंग पर ज्यादा ध्यान केंद्रित कर सकें।
आने वाले वर्षों में, अधिकतर कारें वॉयस रिकॉग्निशन (आवाज पहचान की सुविधा) से लैस होंगी। ये फीचर ड्राइवरों के लिए मददगार भी साबित होगा जिससे कि उनका ध्यान सड़कों पर कम भटके।