Prabhat Times
कपूरथला। भारत के महान विज्ञानी नोबल पुरस्कार विजेता डा. हरगोबिंद खुराना के जन्मदिन पर पुष्पा गुजराल साइंस सिटी (pushpa gujral science city) में वेबिनार का आयोजन किया गया। इस वेबिनार में पंजाब के विभिन्न स्कूलों से 300 से अधिक विद्यार्थियों व अध्यापकों ने भाग लिया।
इस मौके पंजाब प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड के चेयरमैन डा. एसएस मरवाहा मुख्यातिथि के तौर पर पहुंचे। उन्होंने विद्यार्थियों काे जानकारी देते हुए बताया कि डा. हरगोबिंद खुराना पहले विज्ञानी थे, जिन्होंने प्रोटीन संशलेशन में न्यूकलोटाइड के प्रदर्शन में अहम भूमिका निभाई और अनुवंशका के भेदां को तोड़ने में सहायता की है।
उन्होंने कहा कि डा. खुराना की खोज नकली जीन बनाने में बहुत सहायक है। इसके अलावा जैविक रासायन तकनीक और पोलीमेयर चेन रिएक्शन की खोज में भी डीएनए का अहम रोल है।
इस मौके सैंट्रल यूनीवर्सिटी पंजाब के बनस्पति विज्ञान विभाग के मुखी प्रो. फीलैक्स बास्ट ने डा. खुराना द्वारा की गई “रिबोनुकलिक एसिड (आरएनए) की खोज की कोविड-19 के खात्मे के लिए बनाई जा रही वैक्सीन में महत्ता” के विषय पर जानकारी दी।
उन्होंने बताया कि डा. खुराना द्वारा तैयार भाषा के साथ ही आरएनए और डीएनए अणुओं के कठिन भेदां को खोला गया है।
उन्होंने कहा कि उत्पति विज्ञान के कोडा को समझने, कोरोना वायरस के अध्ययन और वैक्सीन तैयार करने की सारी प्रक्रिया डा. खुराना की खोज पर ही आधारित है।
इसके अलावा कोविड-19 के खात्मे के लिए मोडरनां एम आरएनए और पीफाईजर बायोटेक एम आरएनए द्वारा तैयार की जा रही वैक्सीन दौरान उत्पति विज्ञान के कोडा को समझने में भी डा. खुराना की खोज की अहम भूमिका देखी गई है।
इस मौके संबोधित करते नौजवान विज्ञान आवार्ड के साथ सम्मानित हिमालय बायो रिसोर्स टेक्नॉलोजी इंस्टीच्यूट पालमपुर की विज्ञानी डा. वंदना जसवाल ने “डीएनए से जीनोम संशलेशन तक अणु जीव विज्ञान यात्रा” विषय पर रौशनी डालते बताया कि उत्पति विज्ञान (जिनैटिक) कोड पर हुई डा. खुराना की खोज ने अणु (मोलीक्यूलर) और उत्पति की विज्ञानिक विधी (जैनेटिक मैकनियम) पीछे काम करते दिलचस्प गुण ढूंढे है।
उन्होंने बताया कि सीआरआईएस पीआर (कलस्टर्ड रैगूलरली इंटरस्पेस्ड शार्ट पेलडरोकिम रीपिटस) द्वारा तैयार नवीन जनैटिक औजारों को कृषि सुधारों के प्रोग्रामों में प्रयोग किया जा रहा है।
इस मौके विद्यार्थियों को संबोधित करते साइंस सिटी की डायरैक्टर जनरल डा. नीिलमा जेरथ ने डा. खुराना के खोज कार्यों की प्रशंसा करते कहा कि दुनिया के नक्शे पर भारत का नाम दर्ज करवाने वाले महान विज्ञानी पर पूरे भारत को मान है।
उन्होंने कहा कि डा. खुराना ने अनुवंशका भेदा को खोलते पहले नकली जीन तैयार किया गया था। इस महान कार्य के लिए उनको 1968 में नोबल प्राईज के साथ सम्मानित किया गया था।
साइंस सिटी के डायरैक्टर डा. राजेश ग्रोवर ने बच्चों जानकारी देते बताया कि डा. खुराना ने अपनी जिंदगी 60 वर्ष विज्ञान के क्षेत्र में लगाए है। उन्होंने ने अपना जीवन रायपुर (पुराने पंजाब) से शुरु किया गया और जीन की खोज करके नोबल पुरस्कार प्राप्त किया।
उनके द्वारा रासायन और जीवन के क्षेत्र में 500 के करीब पेपर लिखे गए है। उनकी प्राथमिक शिक्षा रासायन विज्ञान में थी, परंतु बाद में रसायन विज्ञान को लागू करते जीव विज्ञान की समस्याओं को हल करने के लिए प्रयत्नशील रहे है।

ये भी पढ़ें