Prabhat Times
नई दिल्ली। कोरोना के जानलेवा डेल्टा वेरिएंट (Delta Variant) की अब तक करीब 85 देशों में पहचान की जा चुकी है. विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के प्रमुख टेड्रस अधनोम ने इसे अब तक का सबसे ज्यादा संक्रामक वेरिएंट बताया है, जो वैक्सीनेट हो चुके लोगों को भी बड़ी तेजी से अपना शिकार बना रहा है. WHO प्रमुख ने इस वेरिएंट को लेकर चिंता जाहिर की है.
प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान WHO के डायरेक्टर जनरल ने कहा, ‘मुझे पता है कि पूरी दुनिया इस वक्त कोरोना के डेल्ट वेरिएंट को लेकर बहुत ज्यादा चिंतित है. कोरोना के इस नए वेरिएंट ने WHO की भी चिंता बढ़ा रखी है.’
जेनेवा में आयोजित इस प्रेस कॉन्फ्रेंस में टेड्रस अधनोम ने कहा, ‘डेल्टा एक बेहद संक्रामक वेरिएंट है जो कि तकरीबन 85 देशों को अपनी चपेट में ले चुका है. इतना ही नहीं, ये वेरिएंट वैक्सीनेट लोगों को भी तेजी से संक्रमित कर रहा है.’ WHO ने चेतावनी देते हुए कहा कि हम जब भी पब्लिक हेल्थ और सोशल डिस्टेंसिंग के मामलों में ढील देते हैं, कोरोना संक्रमण के मामले पूरी दुनिया में तेजी से बढ़ने लगते हैं.
उन्होंने कहा कि संक्रमण की रफ्तार बढ़ने से हॉस्पिटलाइजेशन के मामले बढ़ने लगते हैं. हेल्थ सिस्टम और हेल्थ वर्कर्स पर दबाव ज्यादा पड़ने लगता है. ये सभी कारण किसी देश में कोरोना से हो रही मौतों को बढ़ावा देने के लिए काफी हैं.
नए कोरोना वेरिएंट्स की संभावनाएं ज्यादा हैं और इन्हें लगातार रिपोर्ट भी किया जा रहा है. जैसा कि वायरस के साथ होता भी है. ये अपने आप विकसित होते रहते हैं. लेकिन हम चाहें तो इसके ट्रांसमिशन पर ब्रेक लगाकर वेरिएंट के विकसित होने की प्रक्रिया को रोक सकते हैं.
WHO में कोविड टेक्निकल लीड डॉ. मारिया वैन करखोव ने भी इसे लेकर चिंता जाहिर की है. उन्होंने कहा कि डेल्टा कोरोना का एक बेहद खतरनाक वेरिएंट है और ये अल्फा वेरिएंट से भी ज्यादा संक्रामक है, जो यूरोप समेत दुनिया के कई देशों में फैला था. उन्होंने कहा कि डेल्टा वेरिएंट इससे कहीं ज्यादा संक्रामक है और दुनियाभर में इसके मामले तेजी से सामने आ रहे हैं.
डेल्टा वेरिएंट के लक्षण- डॉक्टर्स का कहना है कि डेल्टा स्ट्रेन से संक्रमित कोरोना के मरीजों में सुनने की क्षमता का कमजोर होना, पेट की गड़बड़ी, ब्लड क्लॉट, गैंग्रीन जैसे लक्षण देखे जा रहे हैं. अब तक ये लक्षण आमतौर पर कोरोना के मरीजों में नहीं देखे जा रहे थे.
इंग्लैंड और स्कॉटलैंड के शुरुआती आंकड़े बताते हैं कि कोरोना के इस स्ट्रेन में अस्पताल में भर्ती होने का खतरा ज्यादा है. डेल्टा स्ट्रेन जिसे B.1.617.2 भी कहा जाता है. अन्य वेरिएंट्स की तुलना में डेल्टा का तेजी से फैलना बताता है कि कोरोना का ये स्ट्रेन वैक्सीनेट हो चुके लोगों के लिए भी कितना खतरनाक है.
भारत सरकार पैनल की हालिया स्टडी के अनुसार, भारत में कोरोना की दूसरी जानलेवा लहर के पीछे डेल्टा वेरिएंट ही जिम्मेदार है. ये UK में पाए गए अल्फा स्ट्रेन से 50 फीसद ज्यादा संक्रामक है. कोरोना के कई मरीजों में तरह-तरह की जटिलताएं देखी जा रही हैं.
मुंबई के किंग एडवर्ड मेमोरियल अस्पताल में कान, नाक और गले की सर्जन हेतल मारफतिया का कहना है कि कोरोना के कुछ मरीज बहरेपन, गर्दन के आसपास सूजन और गंभीर टॉन्सिलिटिस की शिकायत लेकर आ रहे हैं. उन्होंने कहा, ‘हर व्यक्ति में इस वेरिएंट के अलग-अलग लक्षण देखे जा रहे हैं.’

केंद्र ने किया पंजाब समेत 8 राज्यों को एलर्ट

कोरोना वायरस के नए वेरिएंट डेल्‍टा प्‍लस को लेकर चिंता बढ़ती जा रही है. विशेषज्ञों का मानना है कि यह वेरिएंट, कोरोना की तीसरी लहर का कारण बन सकता है. डेल्टा प्लस वेरियंट को लेकर केंद्र ने आठ राज्यों को चिट्ठी लिखकर दिए अहम निर्देश दिए हैं. केंद्र सरकार की ओर से आंध्र प्रदेश, गुजरात, हरियाणा, जम्मू-कश्मीर, पंजाब, कर्नाटक, राजस्थान और तमिलनाडु को यह चिट्ठी लिखी गई है, इसमें इन राज्यों को कहा गया है कि जिलों और समूहों में तत्काल रोकथाम के उपाय करें, जिसमें भीड़ और लोगों का आपस में मिलने जुलने पर रोक, बड़े स्तर पर टेस्टिंग, तत्काल ट्रेसिंग और साथ ही प्राथमिकता के आधार पर वैक्सीन कवरेज शामिल है.
केंद्र ने कहा है कि टेस्ट में पॉजिटिव लोगों के पर्याप्त नमूने इंसाकोग की नामित प्रयोगशालाओं को तत्काल भेजे जाएं. इन आठ राज्यों के इन ज़िलों में डेल्टा प्लस वेरियंट की मौजूदगी है. तमिलनाडु (मदुरई, कांचीपुरम और चेन्नई जिले), राजस्थान (बीकानेर), कर्नाटक (मैसूरु), पंजाब (पटियाला, लुधियाना), जम्मू कश्मीर (कटरा), हरियाणा (फरीदाबाद), गुजरात (सूरत) और आंध्रप्रदेश (तिरुपति).
गौरतलब है कि इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) के डीजी डॉ. बलराम भार्गव ने शुक्रवार को कहा, ’10 दिनों में पता लग जायेगा कि डेल्टा प्लस पर वैक्सीन कितनी कारगर है. उन्‍होंने कहा कि डेल्टा वैरिएंट में म्युटेशन प्रेशर से भी होता है और उसे ज्यादा बेहतर माहौल मिलने से होता है. क्लस्टर में वायरस फैलने से ज्यादा फैलेगा, इसका खतरा रहता है.’ उन्‍होंने कहा कि डेल्टा वैरिएंट 80 देशों में है इसके 3 subtype हैं. 16 देशों में 25% से ज्यादा मामले डेल्टा वैरिएंट के हैं. 

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